बुलंदशहर: मध्य प्रदेश के सीधी जिले से ताल्लुक रखने वाले सौरभ नामदेव और खुशबू ने हाल ही में प्रेम विवाह किया था. दोनों एक ही गांव और मोहल्ले के निवासी थे और लंबे समय से एक-दूसरे से प्रेम करते थे. लेकिन जब उन्होंने शादी की, तो गांव और समाज के लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया. सामाजिक विरोध इतना अधिक था कि नवविवाहित जोड़े को गांव तक छोड़ना पड़ा.
कांवड़ यात्रा को बनाया सामाजिक स्वीकृति का माध्यम
अपने रिश्ते को समाज की मान्यता दिलाने और नाराज़ लोगों का दिल जीतने के लिए सौरभ और खुशबू ने एक अलग रास्ता चुना. उन्होंने हरिद्वार की हरकी पैड़ी से शिव कांवड़ उठाने का संकल्प लिया. 3 जुलाई को दोनों ने 25 लीटर गंगाजल के साथ 650 किलोमीटर दूर अपने गांव के शिव मंदिर तक पैदल यात्रा शुरू की. रोज़ाना लगभग 20–22 किलोमीटर की दूरी तय कर यह नवदंपती भक्ति और उम्मीद के सहारे चल रहा है.
गांव में कांवड़ खंडित होने का डर
सौरभ और खुशबू ने चिंता जताई कि गांव में अब भी उन्हें स्वीकार नहीं किया गया है. उन्हें डर है कि कहीं जलाभिषेक के दौरान उनकी शिव कांवड़ को कुछ नुकसान न पहुंचाया जाए. ऐसे में उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार से सुरक्षा की मांग की है. उन्होंने प्रशासन से निवेदन किया है कि शिवरात्रि पर जलाभिषेक के समय उनकी कांवड़ और यात्रा को सुरक्षा दी जाए.
7 अगस्त को होगा शिवलिंग पर जलाभिषेक
बुलंदशहर के गुलावठी में नेशनल हाईवे-34 से गुजरते समय सौरभ ने बताया कि वे 7 अगस्त को अपने गांव गामनकला (जिला सीधी) पहुंचेंगे. वहां गांव के शिव मंदिर में जलाभिषेक कर समाज से अपने रिश्ते को स्वीकार किए जाने की प्रार्थना करेंगे.
जब प्रेम और आस्था हो जाए एक
सौरभ और खुशबू की यह कांवड़ यात्रा सिर्फ भक्ति नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है कि प्रेम के रिश्तों को जब आस्था का सहारा मिलता है, तो शायद समाज का दिल भी पिघल सकता है. उम्मीद की जा रही है कि इनकी यह भक्ति-भरी पहल गांववालों को सोच बदलने पर मजबूर कर दे.
ये भी पढ़ें: यूपी के इन दो जिलों में 8 दिन तक बंद रहेंगे सभी स्कूल, जानें क्यों लिया गया यह फैसला?