MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में गर्मी चरम पर है, पारा दिन-ब-दिन चढ़ रहा है और बिजली कटौती ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. ऐसे हालात में हर किसी की नजरें ऊर्जा विभाग की ओर हैं, लेकिन इसी बीच प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने आम जनता को तो हैरान किया ही, साथ ही राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है.
जी हां, जब आम नेता सिर्फ भाषण देते हैं, तोमर ने निजी जीवन में ऐसे बदलाव किए हैं, जो एक मिसाल बन सकते हैं. उन्होंने न सिर्फ एसी छोड़ने की कसम खाई, बल्कि प्रेस किए हुए कपड़े पहनना भी त्याग दिया और अब तो उन्होंने कार से सफर करना भी बंद कर दिया है.
ना AC में रहेंगे, ना कार से चलेंगे
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने हाल ही में ऐलान किया है कि वे अब निजी या सामान्य सरकारी दौरों में कार का उपयोग नहीं करेंगे. केवल वीवीआईपी विजिट के दौरान ही वे फोर-व्हीलर से सफर करेंगे, बाकी समय वे बाइक पर सवार होकर अपने दायित्व निभाएंगे. यह मंत्रीजी का बीते तीन महीनों में तीसरा बड़ा निजी संकल्प है. इससे पहले उन्होंने 3 मार्च 2025 को बिना प्रेस किए कपड़े पहनने का फैसला लिया था और 27 मई 2025 को यह घोषणा की कि वे जून की तपती गर्मी में भी बिना एसी के रहेंगे.
निजी वजह भी बनी प्रेरणा
इन फैसलों के पीछे मंत्री तोमर की एक बेहद निजी वजह भी है. पिछले वर्ष उन्होंने अपने बड़े भाई को सांस संबंधी बीमारी के चलते खो दिया था. इसके बाद से वे पर्यावरण को लेकर बेहद सजग हो गए हैं. उनका मानना है कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जनप्रतिनिधियों को खुद आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए. गौरतलब है कि ग्वालियर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बीते कुछ वर्षों में चिंताजनक तरीके से बढ़ा है. 2020 में जहां AQI लेवल 108 था, वहीं 2025 की शुरुआत में यह बढ़कर 142 तक पहुंच गया. यही वजह है कि ऊर्जा मंत्री ने खुद पर नियंत्रण लगाते हुए पर्यावरण को लेकर यह कड़े कदम उठाए हैं.
मंत्री जी के फैसले पर जनता की राय
मंत्री जी के इन फैसलों को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. कुछ विपक्षी दलों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सब दिखावा है और अगर प्रद्युम्न सिंह तोमर वास्तव में प्रदूषण को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें अपनी भूमिका का लाभ लेते हुए बड़े स्तर पर ठोस नीतियां बनानी चाहिएं, ना कि सिर्फ व्यक्तिगत संकल्पों तक सीमित रहना चाहिए. लेकिन यह भी सच है कि एक ऊंचे ओहदे पर बैठा व्यक्ति जब खुद को असुविधा में डालता है, तो वह संदेश प्रभावी होता है. शायद यही वजह है कि मंत्री तोमर के इन निर्णयों ने सोशल मीडिया और आम जनमानस में अच्छी चर्चा बटोरी है.
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