चीन अपनी सैन्य क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाने की तैयारी में है. पारंपरिक युद्धपोतों की तरह अब आसमान में भी "ड्रोन वाहक युद्धपोत" की अवधारणा हकीकत का रूप ले रही है. इसी कड़ी में चीन ने ‘जिउ तियान’ नामक एक शक्तिशाली और बहुउद्देश्यीय हाई-टेक ड्रोन का विकास किया है, जो हवाई क्षेत्रों में वर्चस्व स्थापित करने की चीन की रणनीति का अहम हिस्सा बन सकता है.
यह हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन न केवल निगरानी और हमला करने में सक्षम है, बल्कि यह 100 से अधिक छोटे ड्रोन, कामिकेज़ UAVs और मिसाइलें लेकर दुश्मन के इलाके में गहराई तक प्रवेश कर सकता है. इसकी पहली परीक्षण उड़ान जून 2025 में प्रस्तावित है.
तकनीकी विशेषताएं जो ‘जिउ तियान’ को बनाती हैं अलग
इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी मॉड्यूलर डिज़ाइन है, जिसमें आइसोमेरिज़्म हाइव मॉड्यूल तकनीक के जरिए दर्जनों छोटे ड्रोन एकसाथ तैनात किए जा सकते हैं. ये छोटे ड्रोन एक झुंड के रूप में सामूहिक हमला कर सकते हैं, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, टोही और गुप्त मिशन भी अंजाम दे सकते हैं.
रणनीतिक और तकनीकी चुनौतियां
आने वाले समय में चीन की सैन्य दिशा
‘जिउ तियान’ सिर्फ एक UAV नहीं है, यह चीन की आगामी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और नौसैनिक रणनीति के साथ मिलकर एक समग्र सैन्य ढांचे का हिस्सा है. ताइवान स्ट्रेट और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इसकी तैनाती से क्षेत्रीय सामरिक संतुलन प्रभावित हो सकता है.
सिविल और मानवीय मिशनों में भी उपयोग
चीन का दावा है कि यह ड्रोन सिर्फ सैन्य उद्देश्यों तक सीमित नहीं रहेगा. आपदा राहत, इमरजेंसी लॉजिस्टिक्स और सीमा निगरानी जैसे कार्यों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
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