India Myanmar relations: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के मंच पर जहां वैश्विक कूटनीति के बड़े मुद्दे छाए रहे, वहीं एक कम प्रचारित लेकिन अत्यंत रणनीतिक मुलाकात तियानजिन में quietly headlines बना गई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और म्यांमार के कार्यकारी राष्ट्रपति व सैन्य प्रमुख जनरल मिन आंग ह्लाइंग की बैठक.
यह मुलाकात केवल द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी', पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा, और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन जैसे गंभीर और दीर्घकालिक मुद्दे केंद्र में रहे.
Senior General Min Aung Hlaing and I held talks in Tianjin. Myanmar is a vital pillar of India’s Act East and Neighbourhood First Policies. We both agreed that there is immense scope to boost ties in areas like trade, connectivity, energy, rare earth mining and security. pic.twitter.com/Sxs32TsiTK
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2025
रणनीतिक साझेदारी की पुनर्पुष्टि
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया. चर्चा के प्रमुख बिंदु रहे:
व्यापार और निवेश
सीमा प्रबंधन और सुरक्षा सहयोग
ऊर्जा साझेदारी
कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स
पीपल-टू-पीपल एक्सचेंज
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत, म्यांमार की विकासात्मक ज़रूरतों को पूरा करने में हरसंभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है.
पूर्वोत्तर की सुरक्षा के लिए म्यांमार है 'गेटकीपर'
भारत और म्यांमार के बीच लगभग 1,600 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है जो असम, मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम जैसे राज्यों से सटी है. इस क्षेत्र में लंबे समय से सीमा-पार उग्रवाद, अवैध हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी, और विद्रोही गुटों की गतिविधियां, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बनी रही हैं. मोदी-मिन आंग ह्लाइंग की यह बैठक इन खतरों से निपटने के लिए सीमा प्रबंधन को अधिक सख्त और समन्वित करने की दिशा में अहम पहल है.
म्यांमार बना ब्रिज टू साउथईस्ट एशिया
भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति का आधार है, भौगोलिक और रणनीतिक कनेक्टिविटी को मजबूत करना, और इसमें म्यांमार एक 'लैंड ब्रिज' की भूमिका निभाता है. कुछ प्रमुख परियोजनाएं जो इस नीति के तहत काम कर रही हैं:
कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट
इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड ट्राइलेटरल हाइवे
बैठक में मोदी ने म्यांमार के साथ इन प्रोजेक्ट्स को तेज़ गति से पूरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई.
म्यांमार की अस्थिर राजनीति और भारत का संतुलनकारी रुख
2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचना का सामना कर रहा है. हालांकि अमेरिका और पश्चिमी देश सैन्य शासन से दूरी बना रहे हैं, भारत ने Engagement Policy को चुना है.
भारत का मानना है कि म्यांमार की स्थिरता, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की सुरक्षा के लिए अपरिहार्य है. चीन का बढ़ता प्रभाव म्यांमार में रणनीतिक असंतुलन पैदा कर सकता है. लोकतंत्र और कूटनीति के बीच संतुलन बनाकर चलना ही दीर्घकालिक हितों के लिए जरूरी है
जनरल मिन आंग ह्लाइंग का सहयोग बढ़ाने का संदेश
जनरल ह्लाइंग ने भारत के साथ कृषि, ऊर्जा, और लोगों के बीच संपर्क (पीपल-टू-पीपल कनेक्ट) बढ़ाने की इच्छा ज़ाहिर की. दोनों पक्षों ने सीमा पार अपराध और आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त प्रयासों को तेज करने पर सहमति जताई.
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