वॉर सायरन की गूंज, चारों तरफ छाया अंधेरा.. देश के 244 शहरों में हुई एयर स्ट्राइक की मॉक ड्रिल

    देशभर के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 244 शहरों में एक साथ बुधवार को ब्लैकआउट मॉक ड्रिल की गई. 12 मिनट की इस एक्सरसाइज के दौरान इन शहरों में लाइटें बंद कर दी गईं और लोगों को युद्ध जैसी स्थिति में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया. ये सभी शहर गृह मंत्रालय द्वारा ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स’ के रूप में चिन्हित हैं, जो सामान्य जिलों से अलग माने जाते हैं. क्योंकि इनकी रणनीतिक या जनसंख्या आधारित संवेदनशीलता अधिक है.

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    Image Source: ANI

    पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने 7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक और शक्तिशाली हमला कर एक बार फिर दिखा दिया कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर कायम है. लेकिन इससे भी खास बात यह रही कि भारत सिर्फ हमले की योजना नहीं बना रहा था, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जमीन पर भी तैयारी पूरी कर चुका था.

    244 शहरों में 12 मिनट की ब्लैकआउट एक्सरसाइज

    देशभर के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 244 शहरों में एक साथ बुधवार को ब्लैकआउट मॉक ड्रिल की गई. 12 मिनट की इस एक्सरसाइज के दौरान इन शहरों में लाइटें बंद कर दी गईं और लोगों को युद्ध जैसी स्थिति में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया. ये सभी शहर गृह मंत्रालय द्वारा ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स’ के रूप में चिन्हित हैं, जो सामान्य जिलों से अलग माने जाते हैं. क्योंकि इनकी रणनीतिक या जनसंख्या आधारित संवेदनशीलता अधिक है.

    ब्लैकआउट ड्रिल का उद्देश्य क्या था?

    गृह मंत्रालय की यह पहल केवल प्रतीकात्मक नहीं थी, बल्कि यह देश की सामरिक तैयारी और नागरिक सुरक्षा तंत्र को टेस्ट करने की गंभीर कवायद थी. इसके तहत:

    एयररेड वॉर्निंग सिस्टम की तत्परता को परखा गया.

    भारतीय वायुसेना से हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन का तालमेल जांचा गया.

    कंट्रोल रूम्स की कार्यप्रणाली का परीक्षण किया गया.

    छात्रों, कर्मचारियों और आम नागरिकों को आपातकाल में सुरक्षा और निकासी की ट्रेनिंग दी गई.

    महत्वपूर्ण संस्थानों और औद्योगिक प्लांट्स को छिपाने की रणनीति पर अमल किया गया.

    फायरफाइटर्स, रेस्क्यू टीम और सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सक्रियता को परखा गया.

    तीन स्तरों पर वर्गीकरण

    244 शहरों को गृह मंत्रालय ने संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों (Category-1 से Category-3) में बांटा है. Category-1 सबसे अधिक संवेदनशील माने गए हैं, जहां खतरे की आशंका अधिक है, वहीं Category-3 अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले माने गए.

    रणनीतिक संदेश

    यह मॉक ड्रिल दर्शाता है कि भारत अब किसी भी सुरक्षा चुनौती के लिए सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि नागरिक मोर्चे पर भी पूरी तरह तैयार है. यह अभ्यास केवल आतंकी खतरे के खिलाफ नहीं, बल्कि भविष्य की किसी भी आपदा या युद्ध जैसी स्थिति से निपटने की बड़ी योजना का हिस्सा है.
     

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