Mission Nisar: श्रीहरिकोटा, जब दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतें मिलकर कुछ रचती हैं, तो वो सिर्फ विज्ञान नहीं, इतिहास बन जाता है. आज भारत और अमेरिका की ऐसी ही एक ऐतिहासिक साझेदारी की उड़ान है,‘निसार सैटेलाइट’ की. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) के मिलेजुले प्रयास से बना यह खास सैटेलाइट आज शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. लेकिन ये महज़ एक और सैटेलाइट नहीं है, यह वो आंख है जो धरती को दिन-रात, धूप-बारिश, बादल-धुंध सबके पार देख सकेगी.
‘निसार’ यानी NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar, एक ऐसा पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट है, जो दो देशों की तकनीकी ताकत को एकजुट करता है. इसका वजन करीब 2,392 किलोग्राम है और इसे GSLV Mk-II रॉकेट के जरिए 747 किलोमीटर की सूर्य-समकालिक कक्षा में भेजा जाएगा. सबसे अनोखी बात? यह दुनिया का पहला सैटेलाइट है जो दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी रडार (L-बैंड और S-बैंड) का इस्तेमाल एकसाथ करेगा. NASA का L-बैंड रडार गहराई तक झांकता है, तो ISRO का S-बैंड सतह की बारीकियों को पकड़ता है.
कैसे करेगा निसार काम?
लॉन्च के बाद पहले 90 दिन इसे 'इन-ऑर्बिट चेकिंग' में लगेंगे. फिर शुरू होगा. यह रडार तरंगें धरती पर भेजेगा और वापसी सिग्नल से सतह पर बदलावों को मापेगा. L-बैंड जमीन के नीचे की हलचल, जैसे भूकंप या भूस्खलन की संभावनाओं को पकड़ेगा. S-बैंड फसलों, जंगलों और जल की स्थिति पर नजर रखेगा. ‘SweepSAR’ नाम की तकनीक हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगी, चाहे रात हो, बादल हों या बारिश.
निसार से हमें क्या मिलेगा?
इस मिशन का असर हमारी दैनिक ज़िंदगी से लेकर वैश्विक नीति तक दिखेगा. भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी जैसे प्राकृतिक आपदाओं की शुरुआती चेतावनी मिलेगी. किसानों को फसल और मिट्टी से जुड़ा डेटा मिलेगा जिससे वे बेहतर योजना बना सकेंगे. वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन पर बारीक डेटा मिलेगा जिससे वैश्विक तापमान, हिमखंडों की पिघलन, समुद्री जल स्तर आदि पर निगरानी रखी जा सकेगी. और सबसे खास, यह डाटा आम लोगों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को मुफ्त में उपलब्ध होगा.
सिर्फ तकनीक नहीं, साझेदारी की मिसाल
इस प्रोजेक्ट पर पिछले 10 साल से दोनों देश काम कर रहे थे, और इसकी लागत करीब 1.5 बिलियन डॉलर (12,500 करोड़ रुपये) है. यह केवल विज्ञान का मिशन नहीं है, यह भरोसे और सहयोग का प्रतीक है कि जब दो देश मिलते हैं, तो पूरी धरती का भला होता है.
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