Minimum Bank Balance: बैंकिंग ग्राहकों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आ रही है. सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंक अब सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता को खत्म करने पर विचार कर रहे हैं. अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो देशभर में करोड़ों बैंक खाता धारकों को हर महीने खाते में न्यूनतम राशि रखने की चिंता से छुटकारा मिल सकता है.
वित्त मंत्रालय और सरकारी बैंकों के बीच हाल ही में हुई एक अहम बैठक में यह मुद्दा गंभीरता से उठाया गया. मंत्रालय ने बैंकों से पूछा – जब अधिकतर बैंकिंग सेवाएं अब डिजिटल हो चुकी हैं, तो फिर ग्राहकों पर पुराने नियमों का बोझ क्यों डाला जा रहा है?
क्या होता है मिनिमम बैलेंस और क्यों होता है जरूरी?
मिनिमम बैलेंस वह तय राशि होती है जो किसी भी ग्राहक को अपने बचत खाते में हमेशा बनाए रखनी होती है. यदि ऐसा नहीं होता, तो बैंक ग्राहक से जुर्माना वसूलता है. सरकारी बैंकों में इस नियम की सख्ती कम होती है, लेकिन निजी बैंक इस मामले में ज्यादा सख्त रवैया अपनाते हैं.
सरकारी बैंक दिखा रहे लचीलापन
एसबीआई (SBI) ने साल 2020 में ही सबसे पहले न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था. कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पीएनबी और इंडियन बैंक जैसे अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भी हाल ही में इस दिशा में पहल की है. गौरतलब है कि एक RTI से यह बात सामने आई थी कि मिनिमम बैलेंस न रखने पर वसूले गए जुर्माने से बैंक ने भारी मुनाफा कमाया था, जिसे लेकर काफी आलोचना हुई थी.
आरबीआई की रिपोर्ट से बनी नई सोच
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों का ध्यान अब चालू और बचत खातों से हटकर टर्म डिपॉजिट और कमर्शियल पेपर्स (CDs) जैसे उच्च-ब्याज स्रोतों की ओर बढ़ रहा है. इसका मतलब यह है कि मिनिमम बैलेंस जैसी शर्तों की अहमियत घट रही है.
जनधन योजना से मिली अहम सीख
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में शुरू में भले ही बैलेंस कम रहा हो, लेकिन समय के साथ उनमें अच्छी-खासी जमा राशि दिखी. यह अनुभव बैंकों के लिए एक बड़ा सबक बना कि ग्राहक धीरे-धीरे वित्तीय रूप से सक्रिय हो सकते हैं, भले ही शुरुआत में बैलेंस कम हो.
निजी बैंक अब भी सख्त
जहां सरकारी बैंक नियमों में ढील देने लगे हैं, वहीं निजी बैंक अभी भी मिनिमम बैलेंस को लेकर सख्ती बरत रहे हैं. हालांकि जनधन खाते, सैलरी अकाउंट और उन ग्राहकों को कुछ छूट मिलती है जिनके पास निवेश, FD या अन्य रिलेशनशिप वैल्यू जुड़ी होती है.
ग्राहकों के लिए बेहतर अनुभव की दिशा में बड़ा कदम
बैंकिंग नियमों में यह बदलाव ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है. खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को इसका बड़ा फायदा होगा, जहां मिनिमम बैलेंस बनाए रखना कई बार मुश्किल हो जाता है.
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