MP News: मध्य प्रदेश में एक नई और गंभीर बैक्टीरियल बीमारी मेलिओइडोसिस ने फैलना शुरू कर दिया है. यह बीमारी अब तक 130 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है. खासकर ग्रामीण इलाके, जहां खेती-किसानी होती है, वहां के लोग इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन अब यह संक्रमण शहरों तक भी पहुंचने लगा है, जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है. अगर समय रहते इसका इलाज न किया गया, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है.
मेलिओइडोसिस क्या है और कैसे फैलती है?
मेलिओइडोसिस एक बैक्टीरियल बीमारी है, जो Burkholderia pseudomallei नामक बैक्टीरिया से होती है. यह बैक्टीरिया मिट्टी और गंदे पानी में पाया जाता है. खेतों में काम करने वाले किसान, खासकर जो कीचड़ या गीली मिट्टी के संपर्क में आते हैं, ये सबसे ज्यादा इस बीमारी के शिकार होते हैं. यह बैक्टीरिया शरीर के कई अंगों जैसे फेफड़े, त्वचा और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तक को संक्रमित कर सकता है.
यह बीमारी अपने शुरुआती लक्षणों में टीबी जैसी दिखती है, जिससे इसे पहचानना मुश्किल होता है. मध्य प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में इसके मामले सामने आ चुके हैं, जो इस बात का संकेत है कि यह अब यहां एक स्थानीय बीमारी बन चुकी है.
सबसे ज्यादा जोखिम में कौन लोग हैं?
भोपाल एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. आयुष गुप्ता के मुताबिक, अब यह बीमारी शहरी इलाकों में भी तेजी से फैल रही है. मधुमेह से पीड़ित, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले और अधिक शराब सेवन करने वाले लोग इसके लिए सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. इन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
मेलिओइडोसिस के प्रमुख लक्षण
इस बीमारी के लक्षण शुरुआती दौर में सामान्य बुखार जैसे होते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़कर गंभीर संक्रमण का रूप ले लेते हैं. फेफड़ों में संक्रमण, त्वचा पर फोड़े-फुंसी और कुछ मामलों में मस्तिष्क तक संक्रमण फैलना इसके गंभीर लक्षण हैं. शुरुआती लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है, इसलिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है.
इस जानलेवा बीमारी से कैसे बचें?
खेतों में काम करते समय हाथ-पैर पूरी तरह ढक कर रखें, ताकि मिट्टी या गंदे पानी का सीधे संपर्क न हो. मधुमेह रोगी और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग खास सावधानी बरतें. स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें. बुखार, त्वचा पर फोड़े या अन्य असामान्य लक्षण दिखें तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करवाएं. समय पर डॉक्टर से संपर्क कर इलाज शुरू कराना जीवन रक्षक साबित हो सकता है.
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