क्या पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच होने वाली है मुलाकात? भारत और अमेरिका में हलचल तेज

    India US Relations: दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों, भारत और अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व के बीच संभावित बातचीत को लेकर एक बार फिर से अटकलों का बाजार गर्म है. मलेशिया में आगामी आसियान (ASEAN) समिट से कुछ दिन पहले ही दोनों देशों की राजनीतिक राजधानी में हलचल तेज हो गई है.

    meeting between PM Modi and President Trump on the cards India and US are intensifying tensions
    Image Source: ANI/ File

    India US Relations: दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों, भारत और अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व के बीच संभावित बातचीत को लेकर एक बार फिर से अटकलों का बाजार गर्म है. मलेशिया में आगामी आसियान (ASEAN) समिट से कुछ दिन पहले ही दोनों देशों की राजनीतिक राजधानी में हलचल तेज हो गई है. इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों की संभावित उपस्थिति ने इस चर्चा को और बल दिया है कि क्या दोनों नेता इस बहुपक्षीय मंच पर आमने-सामने बैठकर द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे?

    मलेशिया की सरकार पहले ही ट्रंप की भागीदारी की पुष्टि कर चुकी है, जबकि भारत और अमेरिका, दोनों की ओर से अब तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. यह स्थिति उस समय और महत्वपूर्ण हो जाती है जब नवंबर में होने वाला G20 शिखर सम्मेलन और क्वाड (Quad) की बैठक, दोनों की अनिश्चितता के कारण मलेशिया समिट को ही इकलौता व्यावहारिक मौका माना जा रहा है, जहां ये दोनों नेता आमने-सामने हो सकते हैं.

    टैरिफ विवाद: रिश्तों में सबसे बड़ा अवरोधक

    भारत और अमेरिका के बीच इस समय सबसे बड़ा तनाव का बिंदु व्यापार टैरिफ है. ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए आयात शुल्कों ने भारत-अमेरिका संबंधों में असहजता पैदा कर दी है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भले ही इस संवाद को "सौहार्दपूर्ण" बता चुके हों, लेकिन किसी ठोस समझौते की दिशा में अब तक कोई स्पष्ट प्रगति नहीं दिखी है. गोयल के अनुसार, जब तक भारत के राष्ट्रीय हित पूरी तरह सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक किसी भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा.

    ट्रंप की बयानबाजी से भारतीय असहजता

    राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया सार्वजनिक दावे भारतीय नेतृत्व के लिए चिंता का कारण बने हैं. ट्रंप बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर में मध्यस्थता की, जबकि भारत इस बात को सिरे से नकार चुका है. इतना ही नहीं, रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर भी ट्रंप द्वारा दिए गए बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय को सार्वजनिक रूप से खंडन जारी करना पड़ा. इस कूटनीतिक असहमति के बीच ट्रंप की धमकी कि भारत पर तब तक टैरिफ जारी रहेंगे जब तक वह रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करता, ने स्थिति को और जटिल बना दिया है.

    रणनीतिक साझेदारी और अस्थिर विश्वास

    इन सबके बीच, गाजा युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ट्रंप के 20-सूत्रीय शांति प्रस्ताव का समर्थन एक सकारात्मक संकेत था. ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी और पीएम मोदी को धन्यवाद कहा. लेकिन इसी कार्यक्रम में उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को भी आमंत्रित कर दिया, जिससे भारतीय रणनीतिक हलकों में असहजता साफ दिखी.

    विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका, भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत के जवाब में एक रणनीतिक संतुलन के रूप में देखता है, जबकि भारत अमेरिका को एक तकनीकी, रक्षा, और निवेश सहयोगी के तौर पर महत्व देता है. हालांकि, ट्रंप जैसे नेता की अप्रत्याशित बयानबाजी और राजनीतिक प्राथमिकताओं में तेज़ बदलाव, इन संबंधों में अनिश्चितता की भावना को जन्म देते हैं.

    नजरें अब मलेशिया समिट पर

    जैसे-जैसे 26 अक्टूबर की तारीख नज़दीक आ रही है, सबकी नजरें अब मलेशिया में होने वाले इस आसियान शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं. अगर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात होती है, तो यह न केवल टैरिफ विवाद को हल करने की दिशा में एक अवसर होगा, बल्कि इससे दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों में भी नया मोड़ आ सकता है.

    भारत की प्राथमिकता फिलहाल स्पष्ट है, नीतिगत स्थिरता, संप्रभु हितों की सुरक्षा, और संवाद के जरिए समाधान. देखना यह है कि अमेरिका भी इस दिशा में समान गंभीरता दिखाता है या नहीं.

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