इस्लामाबादः वो शख्स जो कभी मासूम युवाओं को ‘शहादत’ के नाम पर मौत के रास्ते पर भेजता था, आज खुद मौत के खौफ से दिन-रात कांप रहा है. जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर, जो कभी पाकिस्तान में बैठकर भारत के खिलाफ ज़हर उगला करता था, अब अफगानिस्तान के पहाड़ों में छिपा हुआ है - जान बचाने के लिए.
भारत के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने बदली तस्वीर
भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा चलाया गया कड़ा जवाबी अभियान—ऑपरेशन सिंदूर—ने आतंक के ऐसे अड्डों को भी भेद दिया, जो पहले अछूते माने जाते थे. इसी ऑपरेशन में मसूद अजहर के कई रिश्तेदार मारे गए, और तभी से उसकी दुनिया बदल गई. अब वही अजहर, जिसे ‘काफिरों के खात्मे’ का जुनून था, अपने लिए दवाइयां लेने भी चोरी-छिपे निकलता है.
कहां छिपा है मसूद अजहर?
सूत्रों की मानें तो मसूद अजहर इस समय अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत के गुर्बुज जिले में छिपा है. वो वहां लश्कर-ए-तैयबा के एक ट्रेनिंग कैंप में पनाह लेकर बैठा है. उसे दिल की गंभीर बीमारी है और इलाज के लिए कभी-कभी चुपचाप कराची जाता है. उसकी तबीयत इतनी नाज़ुक है कि डॉक्टर ने उसे बोलने तक से मना किया है.
उसके साथ उसका छोटा भाई मौलाना तल्हा आसिफ भी है, जिसे उसने अब आतंकी कैंप की ज़िम्मेदारी सौंप दी है. ये वही लोग हैं जो कभी दूसरे युवाओं को जिहाद की आग में झोंकते थे, और आज खुद किसी बंकर में सहमे बैठे हैं.
तालिबान की ‘छुपी मेहरबानी’
अफगान तालिबान भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहता हो कि वह आतंकियों को शरण नहीं देता, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है. पुराने संबंधों के चलते तालिबान के कुछ कमांडर आज भी मसूद अजहर जैसे भगोड़े आतंकियों को शरण देते हैं. इसी तरह अलकायदा की भारतीय शाखा ‘लश्कर-ए-गजवात-उल-हिंद’ का खूंखार आतंकी डॉ. अब्दुल रऊफ भी अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में छिपा हुआ है.
जो कभी माइक पर गरजता था, अब फुसफुसा भी नहीं सकता
मसूद अजहर जैसे आतंकी पहले कैमरे पर खड़े होकर ‘72 हूरों’ और ‘जन्नत’ की बातें करते थे. उनकी ज़हरीली भाषणों ने सैकड़ों परिवारों को उजाड़ा, बच्चों को अनाथ किया. लेकिन आज हालात ये हैं कि वो खुद अपनी जान की भीख मांग रहे हैं. जो कभी दूसरों को 'शहादत' की ट्रेनिंग देता था, अब खुद एक जगह टिककर बैठने की हालत में नहीं.
भारत की रणनीति ने डर बैठा दिया है
आज पाकिस्तान जानता है कि भारत अब सिर्फ चेतावनी नहीं देता, सीधी कार्रवाई करता है. यही डर मसूद अजहर और उसके जैसे आतंकियों को बेचैन कर रहा है. अब उनके लिए कोई देश, कोई पहाड़, कोई सीमा सुरक्षित नहीं बची.
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