Mainpuri News: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में पुलिस विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिसने एक निर्दोष व्यक्ति को अपराधी बना दिया. राजवीर, जो एक किसान है, को 17 साल तक झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा, क्योंकि पुलिस ने उसकी जगह उसके भाई का नाम दर्ज कर दिया था. यह मामला साबित करता है कि कैसे छोटी सी चूक भी किसी की जिंदगी में असहनीय मुसीबतें ला सकती है. अब, 24 जुलाई को कोर्ट ने उसे आरोपमुक्त कर दिया.
कैसे हुई पुलिस की चूक?
31 अगस्त 2008 को मैनपुरी के कोतवाली थाने में पुलिस ने राजवीर, मनोज यादव, प्रवेश यादव और भोला के खिलाफ गिरोहबंद अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था. लेकिन, असली आरोपी राजवीर का भाई रामवीर था. पुलिस ने गलती से रामवीर की जगह राजवीर का नाम दर्ज कर दिया. इस गलती की वजह से राजवीर को न केवल गिरफ्तार किया गया, बल्कि उसे 22 दिन तक जेल में रहना पड़ा.
झूठे मुकदमे का सामना करते हुए 17 साल की जंग
राजवीर के वकील विनोद कुमार यादव के मुताबिक, राजवीर बार-बार यह कहते रहे कि उनका मुवक्किल निर्दोष है और उसे किसी प्रकार का अपराध नहीं करना चाहिए था. लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं मानी और राजवीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 22 दिन जेल में रहने के बाद, राजवीर को ज़मानत मिली, लेकिन उसे सच्चाई साबित करने के लिए मैनपुरी से लेकर आगरा तक कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े.
कठिनाइयों से भरी राजवीर की जिंदगी
राजवीर की स्थिति अत्यंत कठिन थी. खेतिहर मजदूरी करने वाले राजवीर को अपने परिवार का पालन-पोषण करना था. उनकी दो बेटियाँ थीं, जिनमें से एक दिव्यांग थी. परिवार की स्थिति को देखते हुए राजवीर को अपने बेटे को स्कूल छोड़ने के बाद मजदूरी करनी पड़ी. उन्होंने लगभग 300 बार कोर्ट के चक्कर लगाए, लेकिन कभी राहत नहीं मिली.
पुलिस की लापरवाही का खामियाजा
17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 24 जुलाई को विशेष न्यायाधीश स्वप्न दीप सिंघल ने राजवीर को आरोपमुक्त कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस की घोर लापरवाही की वजह से एक निर्दोष व्यक्ति को 22 दिन जेल में रहना पड़ा और 17 साल तक झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा. यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी अधिकारियों की लापरवाही किसी की जिंदगी को तबाह कर सकती है.
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