Kolhapur Golden Village: कभी आपने सुना है कि किसी गांव में बारिश के साथ सोना बरसता हो? ये किसी कहानी या फिल्म का सीन नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले का एक सच्चा किस्सा है. यहां के कसबा बीड नामक गांव में, हर साल मानसून के मौसम में खेतों और घरों की छतों से प्राचीन सोने के सिक्के मिलने की घटनाएं सामने आती हैं. इस छोटे से गांव की आबादी करीब 5-6 हजार है, लेकिन इसकी पहचान अब किसी सामान्य गांव से हटकर एक ऐतिहासिक रहस्य बन चुकी है.
हर बारिश में मिलते हैं प्राचीन सोने के सिक्के
गांव के लोगों का कहना है कि जैसे ही मृग नक्षत्र की बारिश शुरू होती है, खेतों, रास्तों और छतों पर सोने के सिक्के नजर आने लगते हैं. ये सिक्के किसी आम धातु के नहीं, बल्कि यादव काल के बताए जाते हैं. इन सिक्कों को यहां "सोने के बेडे" कहा जाता है.
गांववालों को अक्सर मिलते हैं सिक्के
कुछ ही समय पहले अक्काताई जाधव को खेत में काम करते हुए ऐसा एक सिक्का मिला, जिस पर कमल का डिज़ाइन और कुछ पुरातन अक्षर खुदे थे. ऐसे ही तानाजी यादव और महादेव बिडकर को भी अतीत में सोने की मुद्राएं मिल चुकी हैं.
11 सिक्कों के मालिक हैं मनोहर पाटिल
गांव में मनोहर पाटिल का नाम विशेष रूप से लिया जाता है, क्योंकि उनके घर को पिछले कुछ सालों में 11 सोने के सिक्के मिल चुके हैं. वे इनमें से कुछ सिक्के तोहफे में दे चुके हैं, जबकि बाकी को अपने घर के देवघर में पूजा का प्रतीक मानकर रखा है.
इतिहास और रहस्य से भरा गांव
कसबा बीड सिर्फ सोने के सिक्कों के लिए ही नहीं, बल्कि 210 वीरगाल, पुराने शिलालेख और ऐतिहासिक वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है. गांव के उत्तर, दक्षिण और पश्चिम हिस्सों में इन सिक्कों के मिलने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं.
वैज्ञानिक शोध की मांग
गांव के लोग अब चाहते हैं कि सरकार या कोई संस्था इस अद्भुत रहस्य पर गहराई से वैज्ञानिक और ऐतिहासिक शोध कराए. इससे न सिर्फ सच सामने आएगा, बल्कि कसबा बीड को देश के टूरिज्म मैप पर भी एक नई पहचान मिल सकती है.
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