अमेरिका में रहने वाले भाई की फोटो बनी जालसाजी का हथियार, मुंबई के व्यापारी को तस्वीर दिखाकर लगाया चूना

    अमेरिका में रहने वाले भाई की नकली आवाज और तस्वीर का इस्तेमाल कर एक ठग ने उन्हें चूना लगा दिया. यह घटना एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे AI आधारित वॉइस क्लोनिंग तकनीक साइबर फ्रॉड का नया तरीका बन चुकी है.

    Fraudsters dupe Mumbai businessman using US-based brother's photo
    Image Source: Freepik

    मुंबई: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जहां एक ओर दुनिया को नई दिशा दे रही है, वहीं दूसरी ओर इसके गलत इस्तेमाल से लोग ठगी के शिकार भी बन रहे हैं. हाल ही में मुंबई के जुहू इलाके में रहने वाले एक कारोबारी को ऐसा ही अनुभव हुआ, जब उनके अमेरिका में रहने वाले भाई की नकली आवाज और तस्वीर का इस्तेमाल कर एक ठग ने उन्हें चूना लगा दिया. यह घटना एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे AI आधारित वॉइस क्लोनिंग तकनीक साइबर फ्रॉड का नया तरीका बन चुकी है.

    कैसे हुआ फ्रॉड?

    पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, 56 वर्षीय व्यवसायी को अमेरिका के एक अनजान नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को पीड़ित का भाई बताते हुए कहा कि वह अस्पताल में भर्ती है और इलाज के लिए तुरंत ₹50,000 की जरूरत है. सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि कॉलर की डीपी में उनके भाई की असली फोटो लगी हुई थी और उसकी आवाज भी बिल्कुल उनके भाई जैसी थी. इससे भ्रमित होकर कारोबारी ने बिना जांच-पड़ताल किए आरोपी के बताए बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए.

    ₹2.5 लाख की दूसरी मांग ने खोली आंखें

    कुछ देर बाद उसी नंबर से फिर से कॉल आया और इस बार आरोपी ने ₹2.5 लाख और भेजने की मांग की. इसी दौरान कारोबारी को कॉलर की बातों पर संदेह हुआ. शक होने पर उन्होंने अपने भाई को उस असली सेव किए गए नंबर से कॉल किया, तब जाकर उन्हें पता चला कि उनका भाई तो बिल्कुल ठीक-ठाक है और उसने कोई कॉल ही नहीं किया.

    पुलिस में शिकायत, जांच शुरू

    सच्चाई सामने आने के बाद पीड़ित ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. साइबर एक्सपर्ट गोविंद राय के अनुसार, यह घटना "वॉइस क्लोनिंग साइबर फ्रॉड" का ताजा उदाहरण है जिसमें AI सॉफ्टवेयर की मदद से किसी की आवाज की हूबहू नकल तैयार की जाती है.

    वॉइस क्लोनिंग से कैसे बचें?

    • चाहे सामने वाला कितना भी करीबी लगे, पहले सत्यापन करें.
    • पुराने या आधिकारिक नंबर पर दोबारा कॉल करके बात की पुष्टि करें.
    • प्रोफाइल फोटो असली लग सकती है लेकिन यह फर्जी भी हो सकती है.
    • अगर कॉल में मेडिकल इमरजेंसी या पैसों की मांग की जाए, तो तुरंत जांच करें.
    • किसी भी साइबर ठगी की आशंका होने पर 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें.
    • www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.

    AI के नए दौर में ज़रूरी है डिजिटल जागरूकता

    AI के बढ़ते इस्तेमाल के बीच साइबर सुरक्षा और डिजिटल सतर्कता पहले से कहीं ज्यादा ज़रूरी हो गई है. ठगों द्वारा तकनीकी साधनों का इस्तेमाल कर किसी की पहचान चुराना अब बेहद आसान हो चुका है. ऐसे में नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए.  

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