MP बनेगा माइनिंग कैपिटल, CM मोहन यादव ने किया बड़ा ऐलान, कल कटनी में होगा खनिज कॉन्क्लेव

    मध्यप्रदेश अब केवल भौगोलिक दृष्टि से नहीं, बल्कि खनिज संपदा के मामले में भी देश का सिरमौर बनता जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश ने खनन क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है. चाहे पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया हो या अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग प्रदेश हर मोर्चे पर अग्रणी साबित हो रहा है.

    Madhya Pradesh to become Mining Capital Mineral Conclave on August 23 in Katni
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    MP News: मध्यप्रदेश अब केवल भौगोलिक दृष्टि से नहीं, बल्कि खनिज संपदा के मामले में भी देश का सिरमौर बनता जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश ने खनन क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है. चाहे पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया हो या अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग प्रदेश हर मोर्चे पर अग्रणी साबित हो रहा है. कटनी में 23 अगस्त 2025 को आयोजित होने वाले खनिज सम्मेलन (माइनिंग कॉन्क्लेव) से यह उम्मीद की जा रही है कि मध्यप्रदेश को "माइनिंग कैपिटल ऑफ इंडिया" के रूप में और मजबूती मिलेगी.

    खनिज नीलामी में राष्ट्रीय नेतृत्व

    बीते कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश ने खनिज ब्लॉकों की नीलामी के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है. वर्ष 2022-23 में प्रदेश ने 29 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी कर पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त किया. इतना ही नहीं, क्रिटिकल मिनरल्स की नीलामी शुरू कर प्रदेश ने केंद्र सरकार की नीति को सबसे पहले लागू करने का गौरव भी प्राप्त किया. इस उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने मध्यप्रदेश को वर्ष 2022 और 2025 के खनन मंत्रियों के सम्मेलन में क्रमशः प्रथम और द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया.

    23 अगस्त को होगा खनिज कॉन्क्लेव

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश खनन और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभरा है. खनिजों की प्रचुरता और राज्य सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों के कारण मध्यप्रदेश देश की औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. खनन क्षेत्र में प्रदेश की उपलब्धियों से राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है. साथ ही, देश के औद्योगिक विकास और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित हो सकेगा. इसी क्रम में कटनी में 23 अगस्त को खनिज औद्योगिक विकास पर केन्द्रित कॉन्क्लेव आयोजित हो रहा है.

    बढ़ता खनिज राजस्व और आर्थिक विकास

    खनन से प्राप्त राजस्व में भी मध्यप्रदेश ने रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में खनिज राजस्व में 23% की वृद्धि हुई है, और पहली बार यह आंकड़ा 10,000 करोड़ रुपये से अधिक पहुंचा है. इसके पहले वर्ष 2023-24 में यह 4,958 करोड़ रुपये था. अब तक 103 खनिज ब्लॉकों की नीलामी हो चुकी है, जिनसे भविष्य में लगभग 1.68 लाख करोड़ रुपये का राजस्व संभावित है. यह न केवल राज्य के आर्थिक विकास का संकेत है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं.

    निवेशकों का भरोसा और पारदर्शिता

    2024 में भोपाल में आयोजित माइनिंग कॉन्क्लेव में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए. पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया, पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय समुदाय की भागीदारी जैसे कारकों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है. 

    क्रिटिकल और स्ट्रैटेजिक मिनरल्स की खोज में सफलता

    मध्यप्रदेश ने ग्रेफाइट, गोल्ड, रॉक फॉस्फेट, मैंगनीज और कॉपर जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की नीलामी की है. पन्ना और छतरपुर जिलों में हीरे के विशाल भंडार प्रमाणित हो चुके हैं, जबकि जबलपुर और कटनी में सोने की उपलब्धता की पुष्टि हुई है. बालाघाट की मलाजखण्ड खदान देश की सबसे बड़ी तांबा खदान है और पन्ना की मझगवां खदान भारत की एकमात्र सक्रिय हीरा खदान है.

    अवैध खनन पर सख्ती और तकनीकी निगरानी

    राज्य सरकार अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रही है. 41 एआई आधारित ई-चेकगेट, ड्रोन व सैटेलाइट से खदानों की 3D इमेजिंग और जियो-टैगिंग की जा रही है ताकि खनिज उत्खनन की निगरानी अधिक सटीक हो सके.

    खनिज निधि से सामाजिक विकास

    खनिज विभाग के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला-बाल कल्याण, स्वच्छता और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में 16,452 विकास परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 7,583 पूरी हो चुकी हैं. इससे खनन प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक सामाजिक बदलाव आ रहा है.

    हीरा और सोने में नई खोजें

    पन्ना के मझगवां क्षेत्र में हर वर्ष लगभग 1 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन होता है. छतरपुर के बंदर हीरा ब्लॉक में 34.2 मिलियन कैरेट हीरे के भंडार की पुष्टि हुई है. वहीं, सिंगरौली, कटनी, जबलपुर में सोने की प्रचुरता के संकेत मिल रहे हैं. जबलपुर जिले में 100 हेक्टेयर क्षेत्र में लाखों टन स्वर्ण अयस्क मिलने की संभावना है. 

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