Tomato Production in MP: मध्यप्रदेश ने सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. जहां प्रदेश सब्जी उत्पादन के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है, वहीं टमाटर के उत्पादन में यह नंबर वन है. 2024-25 में लगभग 1,27,740 हेक्टेयर में टमाटर की खेती हुई, जिससे 36.94 लाख मीट्रिक टन की भारी पैदावार का अनुमान है. पिछले चार वर्षों में टमाटर की खेती के क्षेत्र में 16,776 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो प्रदेश के किसानों की मेहनत और टमाटर की बढ़ती मांग का स्पष्ट प्रमाण है.
टमाटर की बढ़ती मांग और उत्पादन में इजाफा
मध्यप्रदेश के टमाटर की मांग न केवल प्रदेश में बल्कि पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी काफी ज्यादा है. प्रदेश में टमाटर की औसत उत्पादकता 28.92 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है, जो सब्जियों की औसत उत्पादकता 15.02 मीट्रिक टन से कहीं अधिक है. इस बढ़ती उत्पादकता के पीछे सरकार की योजनाएं और किसानों की लगन प्रमुख भूमिका निभा रही हैं. सरकार की 50% सब्सिडी वाली बीज योजना और सिंचाई के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति पर अनुदान से किसानों को काफी मदद मिल रही है.
अनूपपुर: टमाटर उत्पादन का मॉडल जिला
अनूपपुर जिले के 15,000 किसानों ने टमाटर की खेती में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं. जिले के जैतहरी, अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ क्लस्टर्स में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. यहां की हाइब्रिड और स्थानीय किस्मों की खेती से 1,40,000 मीट्रिक टन की रिकॉर्ड पैदावार हुई है. इस उत्पादन से करीब 15,500 किसान सीधे लाभान्वित हो रहे हैं.
किसानों की आय में वृद्धि और बेहतर बाजार सुविधा
सरकार द्वारा सिंचाई उपकरणों पर 50-50 प्रतिशत अनुदान के कारण किसानों की लागत कम हुई है और उत्पादन बेहतर हुआ है. अनूपपुर के टमाटर न केवल मध्यप्रदेश के शहडोल, रीवा, सतना तक पहुंचते हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बड़े बाजारों में भी इनकी भारी मांग है. स्थानीय स्तर पर विकसित विपणन सुविधाओं से किसानों को उचित दाम मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है.
मध्यप्रदेश की सब्जी उत्पादन में विशिष्टता
प्रदेश में कुल 26,91,000 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों की खेती होती है, जिसमें से 12,40,000 हेक्टेयर में सब्जियों का उत्पादन किया जाता है. यहां टमाटर के साथ धनिया और लहसुन का उत्पादन भी देश में पहले स्थान पर है. किसानों में टमाटर की खेती के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, जिसे प्रदेश सरकार की सब्सिडी योजनाएं और PMFME योजना के तहत लघु उद्योगों का विकास भी बढ़ावा दे रहा है.
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