Ludhiana hootch tragedy: अमृतसर में जहरीली शराब से हुई 27 मौतों का जख्म अभी भरा भी नहीं था कि लुधियाना से एक और दर्दनाक खबर सामने आ गई है. बस्ती जोधेवाल इलाके में तीन प्रवासी मजदूरों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है, जिसके पीछे शराब का सेवन बताया जा रहा है. यह घटना न सिर्फ शराब माफिया की बेखौफ गतिविधियों को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि आखिर पंजाब में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला कब थमेगा?
शराब पीने के कुछ देर बाद बिगड़ी हालत
बुधवार रात नूरवाला रोड के एक खाली प्लॉट में तीन प्रवासी मजदूर — रिंकू (40), देबी (27) और मंगू (32) — ने शराब पी. चश्मदीदों और परिजनों के अनुसार, कुछ ही देर में तीनों की हालत बिगड़ गई, वे बेहोश हो गए और मुंह से झाग निकलने लगा. स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें तुरंत सिविल अस्पताल लुधियाना पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया.
पोस्टमार्टम के बाद होगी पुष्टि
एडीसीपी दविंदर चौधरी ने बताया कि मौत के असली कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा. सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर का भी कहना है कि तीनों की मौत रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई है और बिना जांच के कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी. वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक कुलवंत सिद्धू ने कहा है कि अगर ये मौतें जहरीली शराब से हुई हैं तो उच्चस्तरीय जांच करवाई जाएगी और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
अमृतसर से सबक नहीं लिया?
गौरतलब है कि अमृतसर में इसी महीने जहरीली शराब पीने से 27 लोगों की जान चली गई थी. जांच में सामने आया कि शराब में मेथनॉल मिलाया गया था — एक ऐसा रसायन जो आमतौर पर औद्योगिक उपयोग के लिए होता है. इससे पहले 2020 में अमृतसर, बटाला और तरनतारन में जहरीली शराब से 120 लोगों की मौत हुई थी. मार्च 2024 में संगरूर में 20 लोगों की मौत ने भी सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे. कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला का कहना है कि सरकार ने इन घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया है. “इतनी मौतों के बावजूद जहरीली शराब का कारोबार बंद नहीं हो पाया, यह लापरवाही नहीं बल्कि प्रशासनिक असफलता है.”
ये भी पढ़ें: पंजाब के एक पिता ने दिखा दिया- बाप बाप ही होता है, बेटे के साथ दी 12वीं की परीक्षा; जानिए कितने नंबर मिले