UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने गांवों में रहने वाले करोड़ों लोगों को बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. अब 'घरौनी', यानी ग्रामीण आवासीय अभिलेख, को कानूनी मान्यता दे दी गई है. इस फैसले से गांवों में रहने वाले लोगों को न सिर्फ अपनी संपत्ति का अधिकारिक दस्तावेज मिलेगा, बल्कि वह इसे बैंकों में गिरवी रखकर आसानी से लोन भी ले सकेंगे.
घरौनी को कैबिनेट ने दी मंजूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025’ को मंजूरी दी गई. इस विधेयक के तहत अब घरौनी को कानूनी दर्जा मिलेगा. पहले यह दस्तावेज सिर्फ सीमित उपयोग में आता था, लेकिन अब इसे संपत्ति के लेन-देन, ऋण और उत्तराधिकार जैसे मामलों में भी साक्ष्य के रूप में माना जाएगा.
स्वामित्व योजना को मिलेगा और बल
यह कदम वर्ष 2020 में शुरू की गई प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना को मजबूती देने का काम करेगा. इस योजना के तहत अब तक करीब 90.57 लाख घरौनी प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड मिला है. लेकिन अब कानूनी मान्यता मिलने से इस रिकॉर्ड की वैधता और बढ़ेगी.
ऋण, नामांतरण और बिक्री होगी आसान
कानूनी दर्जा मिलने के बाद ग्रामीण अब अपनी आवासीय भूमि को गिरवी रखकर बैंक से ऋण प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा नामांतरण, उत्तराधिकार और बिक्री जैसे मामलों में भी अब घरौनी को मजबूत प्रमाण माना जाएगा. इससे कई पुराने विवाद सुलझ सकेंगे और अवैध कब्जों पर भी अंकुश लगेगा.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया जीवन
सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. छोटे किसान, मजदूर और वे परिवार जिनके पास खेती की जमीन नहीं है, लेकिन घर है, अब वे भी बैंकिंग प्रणाली से जुड़कर अपने जीवन में बदलाव ला सकेंगे.
विधानसभा में पेश होगा विधेयक
यह विधेयक जल्द ही उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश किया जाएगा. राजस्व विभाग ने इस संबंध में कुछ दिन पहले प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. विधेयक के पास होते ही गांवों में घर बनाने, लोन लेने और संपत्ति से जुड़े अन्य कामों में घरौनी का उपयोग पूर्ण रूप से कानूनी हो जाएगा.
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