Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में रिश्वतखोरी के आरोप में सस्पेंड किए गए लेखपाल सुभाष मीणा ने जहर खाकर अपनी जान दे दी. यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सिस्टम में काम कर रहे कर्मचारियों की मानसिक स्थिति और उन पर पड़ने वाले दबाव की हकीकत भी बयां करती है.
जन चौपाल में शिकायत
मेरठ के सरधना निवासी सुभाष मीणा पर तीन जून को जन चौपाल के दौरान 500 रुपये रिश्वत लेने की शिकायत हुई थी, जिसके बाद डीएम अभिषेक पांडेय ने उन्हें निलंबित कर दिया. सस्पेंशन के बाद से ही वे मानसिक तनाव में थे और खुद को अकेला महसूस कर रहे थे. बताया गया कि विभागीय स्तर पर भी उन्हें कोई ठोस मदद नहीं मिल सकी, जिससे उनका तनाव बढ़ता गया.
तहसील परिसर में खाया जहर
बुधवार को सुभाष मीणा अपने ड्राइवर शाहिद के साथ धौलाना तहसील पहुंचे थे, जहां उन्होंने तहसील परिसर में ही कथित तौर पर जहर खा लिया. हालत बिगड़ने पर उन्हें गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. गुरुवार तड़के करीब 3:30 बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है.
लेखपाल संघ में आक्रोश, हड़ताल की चेतावनी
इस घटना के बाद हापुड़ सहित जिले भर के लेखपालों में भारी आक्रोश है. लेखपाल संघ ने कलेक्ट्रेट पर धरने और जिले की सभी तहसीलों में हड़ताल की घोषणा कर दी है. उनका कहना है कि सुभाष मीणा को विभागीय स्तर पर सहयोग नहीं मिला और वह अवसाद में चले गए थे.
पांच लाख रुपये मांगने का आरोप
मृतक के ड्राइवर शाहिद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिसने रिश्वत की शिकायत की थी, उसी ने शिकायत वापस लेने के बदले सुभाष मीणा से पांच लाख रुपये की डिमांड की थी. जब सुभाष मीणा ने रुपये देने से मना कर दिया, तब मामला और उलझ गया.
सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त मेरठ और डीआईजी मेरठ को जांच सौंप दी है. यह देखना होगा कि इस जांच से सच्चाई सामने आती है या नहीं, ताकि भविष्य में कोई कर्मचारी मानसिक दबाव में आत्महत्या जैसा कदम न उठाए.
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