तेल अवीव: इज़राइल एक बार फिर अपनी रक्षा तकनीक में क्रांतिकारी कदम उठाने जा रहा है. देश के सबसे चर्चित और भरोसेमंद एयर डिफेंस सिस्टम "Iron Dome" के बाद अब इज़राइल "लेज़र आधारित एयर डिफेंस सिस्टम" को तैनात करने की तैयारी में है. यह नई तकनीक न सिर्फ बेहद सटीक और तेज है, बल्कि लागत के मामले में भी पुराने सिस्टम की तुलना में कहीं अधिक प्रभावशाली साबित हो सकती है.
इज़राइली रक्षा बल (IDF) और रक्षा कंपनी राफेल ने मिलकर तीन आधुनिक लेज़र प्लेटफॉर्म तैयार किए हैं — Iron Beam, Iron Beam-M (मोबाइल संस्करण), और Light Beam. इनका उद्देश्य है — दुश्मन के ड्रोन, रॉकेट और मिसाइलों को लॉन्च के कुछ ही सेकंड में हवा में नष्ट कर देना.
आयरन डोम बनाम आयरन बीम
"आयरन डोम" सिस्टम ने वर्षों तक इज़राइल की रक्षा की है, लेकिन हर हमले के जवाब में इंटरसेप्टर मिसाइल चलाने की कीमत भारी पड़ती है. एक मिसाइल की कीमत 40,000 से 1 लाख डॉलर तक हो सकती है, जबकि हमास जैसे संगठनों के सस्ते रॉकेट महज कुछ सौ डॉलर में तैयार हो जाते हैं.
वहीं, लेज़र हथियारों की बात करें तो इनकी प्रति शॉट लागत लगभग शून्य मानी जा रही है — किसी टॉर्च जलाने जितनी. यह अंतर भविष्य में लंबे युद्ध या बार-बार हमले झेलने की रणनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है.
प्रकाश की गति से सुरक्षा
लेज़र हथियारों की सबसे बड़ी ताकत है उनकी स्पीड और सटीकता. प्रकाश की गति से चलने वाला यह हथियार रॉकेट, ड्रोन या मिसाइल को लॉन्च होते ही निशाना बना सकता है. साथ ही यह एक साथ कई लक्ष्यों पर काम करने की क्षमता भी रखता है, जो पारंपरिक इंटरसेप्टर सिस्टम में संभव नहीं.
यह तकनीक विशेष रूप से हमास, हिजबुल्ला या ईरान जैसे संगठनों से आने वाले कम ऊंचाई वाले, छोटे रेंज वाले खतरे से निपटने में बेहद कारगर साबित हो सकती है.
नागरिकों के लिए नई उम्मीद
अब तक जब भी कोई रॉकेट हमला होता, पूरे शहर में सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया जाता ताकि वे सुरक्षित बंकरों तक पहुंच सकें. लेकिन अगर लेज़र हथियार दुश्मन के प्रक्षेप पथ में ही रॉकेट को नष्ट कर देते हैं, तो यह सायरनों पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर सकता है. इसका मतलब है — सुरक्षित नागरिक जीवन और कम सामाजिक अवरोध.
क्या हैं सीमाएं?
हर तकनीक की अपनी चुनौतियां होती हैं और लेज़र डिफेंस सिस्टम भी इससे अछूता नहीं है:
जल्द तैनाती की तैयारी
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सिस्टम को 2025 के अंत तक ऑपरेशनल करने की योजना है — यानी अब महज कुछ ही महीनों की बात है. मई-जून 2025 तक इसके सीमित उपयोग की शुरुआत भी संभव है.
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