यूं ही नहीं किम जोंग से खौफ में दुनिया! अब अमेरिका ने भी माना उत्तर कोरिया का दबदबा, टेंशन में ट्रंप

    उत्तर कोरिया अब सिर्फ धमकियों तक सीमित नहीं है. एक नई अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, वह आज अपनी दशकों की सबसे मजबूत सैन्य स्थिति में पहुंच चुका है.

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    किम जोंग | Photo: ANI

    उत्तर कोरिया अब सिर्फ धमकियों तक सीमित नहीं है. एक नई अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, वह आज अपनी दशकों की सबसे मजबूत सैन्य स्थिति में पहुंच चुका है — और यही बात अमेरिका समेत उसके सहयोगी देशों के लिए गंभीर चिंता का कारण बन रही है.

    ‘2025 वर्ल्डवाइड थ्रेट असेसमेंट’ नाम की यह रिपोर्ट शुक्रवार को अमेरिका के रक्षा विभाग की खुफिया एजेंसी (DIA) ने जारी की. इसमें उत्तर कोरिया, चीन, रूस और ईरान सहित उन देशों का विश्लेषण किया गया है जो आने वाले वर्षों में वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.

    किम जोंग-उन को अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास

    DIA का मानना है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन अब अपने शासन की सुरक्षा और वैश्विक पहचान को लेकर पहले से कहीं ज्यादा आश्वस्त हैं. वजह साफ है — उनकी सरकार लगातार एडवांस्ड मिसाइल और परमाणु हथियार विकसित कर रही है, जो अमेरिका की मुख्य भूमि तक खतरा पहुंचाने की क्षमता रखते हैं.

    उत्तर कोरिया के पास अब "खतरनाक ताक़त"

    रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया के पास अब वो हथियार और सैन्य क्षमता है जो पूर्वोत्तर एशिया में अमेरिकी सेना और उसके सहयोगी देशों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. इतना ही नहीं, वह अब अमेरिकी सरज़मीं तक पहुंचने की शक्ति भी विकसित कर रहा है.

    रूस, चीन और ईरान से बढ़ती सैन्य साझेदारी

    इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि रूस, यूक्रेन युद्ध के दौरान उत्तर कोरिया को मदद के बदले में मिसाइल, परमाणु और अंतरिक्ष तकनीक से जुड़ी जानकारी व संसाधन दे रहा है. इस गठजोड़ में चीन और ईरान भी शामिल हैं, जिससे आने वाले तीन से पांच सालों में इन देशों के हथियार निर्माण कार्यक्रमों में तेज़ी आ सकती है.

    गैरकानूनी तरीकों से तकनीक जुटा रहा है उत्तर कोरिया

    DIA का कहना है कि उत्तर कोरिया अब भी अपने मिसाइल कार्यक्रम के लिए ऐसी विदेशी तकनीक और सामग्री हासिल कर रहा है जिसे वह घरेलू स्तर पर नहीं बना सकता. इसमें चीन और रूस के नेटवर्क की मदद से गैरकानूनी खरीदारी की जाती है.

    इसके अलावा, यह भी चेतावनी दी गई है कि उत्तर कोरिया भविष्य में बैलिस्टिक मिसाइल और उससे जुड़ी तकनीक को अन्य खतरनाक देशों या समूहों को बेचना और फैलाना जारी रख सकता है.

    सिर्फ खतरा नहीं, रणनीतिक मकसद भी

    इस पूरी रणनीति के पीछे किम जोंग-उन का उद्देश्य सिर्फ सैन्य दबदबा नहीं, बल्कि राजनीतिक मान्यता और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ाना भी है. अब वह खुद को एक स्ट्रैटजिक पावर के रूप में स्थापित करने की ओर बढ़ रहे हैं — और यह पूरी दुनिया के लिए एक नई चुनौती है.

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