'कुछ किया तो...', ट्रंप की धमकी वाले बयान पर भड़के खामेनेई; अमेरिकी राष्ट्रपति को दे डाली बड़ी चेतावनी

    ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु तनातनी एक बार फिर उबाल पर है. भले ही ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध विराम लागू हो गया हो, लेकिन कड़े बयान और सख्त चेतावनियों का दौर अब भी जारी है.

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    ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु तनातनी एक बार फिर उबाल पर है. भले ही ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध विराम लागू हो गया हो, लेकिन कड़े बयान और सख्त चेतावनियों का दौर अब भी जारी है. ताज़ा घटनाक्रम में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने वॉशिंगटन को कड़े शब्दों में चेताया है कि यदि उसके देश के परमाणु ठिकानों पर दोबारा हमला हुआ, तो उसका जवाब ऐसा होगा जो पूरी दुनिया के सामने होगा और छिपाया नहीं जा सकेगा.

    ईरानी विदेश मंत्री की तीखी प्रतिक्रिया उस समय सामने आई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को धमकी दी कि अगर उसने परमाणु कार्यक्रम फिर शुरू किया, तो अमेरिका उसे पूरी तरह बर्बाद कर देगा. इस बयान के बाद अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, यदि फिर हमला किया गया, तो हमारा जवाब और भी कड़ा होगा. इस पूरे मसले का हल सिर्फ कूटनीति है, धमकियों से नहीं.

    ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर’ बना नई जंग की वजह

    ईरान की चेतावनी का एक बड़ा कारण हाल ही में अमेरिका द्वारा चलाया गया ऑपरेशन मिडनाइट हैमर है. इस ऑपरेशन के तहत 22 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों  नतांज, फोर्दो और इस्फहान  पर बंकर-बस्टर बमों से हमला किया. इन हमलों में भारी तबाही हुई और ईरान के परमाणु इंफ्रास्ट्रक्चर को गंभीर नुकसान पहुंचा. इसके बाद भी अमेरिका का रुख नरम नहीं पड़ा. डोनाल्ड ट्रंप लगातार ईरान को चेतावनी देते रहे कि उसका परमाणु कार्यक्रम अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक गंभीर खतरा है.

    इज़रायल ने भी दिखाई सैन्य ताकत

    इससे पहले ईरान और इज़रायल के बीच भी टकराव चरम पर पहुंच चुका है. इज़रायल ने अपने अस्तित्व पर खतरा बताते हुए ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू किया, जिसमें 200 से अधिक फाइटर जेट्स ने 330 से ज़्यादा बम और मिसाइलें दागीं. इस हमले का मकसद था — सेंटरफ्यूज वर्कशॉप, मिसाइल बेस, फ्यूल प्रोसेसिंग यूनिट्स और कमांड सेंटर्स को तबाह करना. इन हमलों के बाद दोनों देशों के बीच लगभग दो सप्ताह तक सीधी जंग चली, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से सीजफायर लागू हो सका. लेकिन तनाव आज भी बरकरार है, क्योंकि ईरान अब भी अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटने को तैयार नहीं है.

    ट्रंप के बयान के बाद गरमाया माहौल

    अब सभी की निगाहें इस ओर हैं कि क्या यह संकट कूटनीतिक वार्ता के रास्ते सुलझेगा या फिर एक और बड़ी सैन्य भिड़ंत की भूमिका बन रही है. अमेरिका और ईरान के बीच जुबानी जंग और सैन्य तैयारी दोनों संकेत दे रहे हैं कि पश्चिम एशिया एक बार फिर विस्फोटक मोड़ पर खड़ा है. आने वाले हफ्ते यह तय करेंगे कि यह तनाव संवाद की मेज़ तक जाएगा या युद्ध के मैदान तक.

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