राष्ट्रपति पेजेश्कियान से किस बात का बदला लेना चाह रहे खामेनेई? कट्टर दुश्मन को सौंप दी बड़ी जिम्मेदारी

    ईरान और इजराइल के बीच हालिया 12 दिवसीय तनावपूर्ण संघर्ष के बाद अब तेहरान की सत्ता में हलचल तेज हो गई है. क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर ईरान ने एक अहम और रणनीतिक कदम उठाया है. देश की सर्वोच्च सत्ता के केंद्र, सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने 'नेशनल डिफेंस काउंसिल' यानी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी एक नए चेहरे को सौंप दी है.

    Khamenei gave duty of secretary of national security council to ali larijani
    Image Source: Ai

    ईरान और इजराइल के बीच हालिया 12 दिवसीय तनावपूर्ण संघर्ष के बाद अब तेहरान की सत्ता में हलचल तेज हो गई है. क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर ईरान ने एक अहम और रणनीतिक कदम उठाया है. देश की सर्वोच्च सत्ता के केंद्र, सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने 'नेशनल डिफेंस काउंसिल' यानी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी एक नए चेहरे को सौंप दी है. यह चेहरा कोई और नहीं, बल्कि ईरानी राजनीति के कद्दावर और अनुभवी खिलाड़ी अली लारीजानी हैं.

    नेशनल डिफेंस काउंसिल की घोषणा कुछ ही दिन पहले की गई थी, लेकिन अब इसके सचिव के तौर पर अली लारीजानी की नियुक्ति को रणनीतिक दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इससे ईरान के आंतरिक राजनीतिक समीकरणों में भी बदलाव की झलक मिल रही है. यह परिषद युद्धकालीन निर्णयों से लेकर सैन्य रणनीति तक, हर अहम फैसले में एक निर्णायक भूमिका निभाएगी.

    अली लारीजानी: कट्टरपंथ और उदारवाद के बीच की कड़ी?

    68 वर्षीय अली लारीजानी ईरान के उन राजनेताओं में से हैं जिन्होंने कट्टरपंथी माहौल में रहकर भी कई बार संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है. इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े रहे लारीजानी की छवि देश के राजनीतिक गलियारों में स्थिरता और परिपक्वता का प्रतीक रही है. वे साल 2008 से 2020 तक संसद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. परमाणु नीति पर पश्चिमी देशों के साथ बातचीत में उनकी भूमिका काफी अहम रही.

    बार-बार राष्ट्रपति पद से वंचित, अब मिली बड़ी भूमिका

    लारीजानी तीन बार राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो चुके हैं, लेकिन हर बार किस्मत ने साथ नहीं दिया. 2024 के चुनाव में भी उन्होंने नामांकन किया था, मगर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. बावजूद इसके, उनकी नीतिगत पकड़ और प्रशासनिक अनुभव उन्हें आज भी सत्ता के निर्णायक मंच पर बनाए हुए है.

    नेशनल डिफेंस काउंसिल का मकसद क्या है?

    यह नई परिषद युद्धकालीन हालात में तत्काल निर्णय लेने के लिए गठित की गई है. इसका नेतृत्व देश के राष्ट्रपति मसऊद पेजेश्कियान करेंगे, जबकि उसके निर्णयों की अंतिम स्वीकृति सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के पास रहेगी. परिषद का प्रमुख सचिव होने के नाते लारीजानी की भूमिका सिर्फ नीतियां तय करने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि यह सुनिश्चित करने की भी होगी कि फैसले जमीन पर प्रभावी रूप से उतरें.

    बदले समीकरण का संकेत?

    विश्लेषकों का मानना है कि अली लारीजानी की नियुक्ति सत्ता के उस तबके की वापसी का संकेत है, जो व्यावहारिक और रणनीतिक समझ के पक्षधर हैं. कट्टरपंथी धड़े के मुकाबले यह एक संतुलित दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है, जो संभवतः विदेश नीति और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर नई दिशा तय कर सकता है.

    यह भी पढ़ें: क्या फिर से दोहराया जाएगा ‘हिरोशिमा’? दुनिया को फिर से तबाही के कगार पर ले जा रहे परमाणु हथियार