मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष और तनाव का एक लंबा इतिहास रहा है. हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच एक अस्थायी शांति बनी हुई है, लेकिन इस शांति के बावजूद तनाव की स्थिति बरकरार है. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई, जो लंबे समय से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए थे, हाल ही में एक शोक समारोह के दौरान प्रकट हुए. इस दौरान खामेनेई ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर से दुनिया को यह संदेश दिया कि उनका देश किसी भी हाल में अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं से पीछे नहीं हटेगा.
परमाणु मिशन और खामेनेई का गुप्त ठिकाना
ईरान के परमाणु मिशन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इसका गुप्त ठिकाना कहाँ है. फोर्दो और नतांज जैसे स्थानों से परमाणु उपकरण और सामग्री को कहाँ भेजा गया है, यह किसी को भी नहीं पता. खामेनेई के बारे में भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह कहां छिपे हुए हैं – क्या वह भूमिगत हैं या समुद्र के अंदर? इजराइल और अमेरिका की खुफिया एजेंसियां, जो पहले इस मिशन पर नजर रख रही थीं, अब इसे लेकर बिलकुल भी स्पष्ट नहीं हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक गहरे रहस्य में घिरा हुआ है, जिसे केवल खामेनेई और उनके करीबी जानते हैं.
मुहर्रम और परमाणु परीक्षण की आशंका
आज मुहर्रम की 10वीं तिथि है, और यह दिन ईरान के लिए खास माना जा रहा है. कुछ जानकारों का मानना है कि इस दिन ईरान परमाणु परीक्षण कर सकता है. खामेनेई की इस घोषणा के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि वह किसी बड़े एलान के साथ सामने आ सकते हैं. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और इजराइल के तमाम प्रयास असफल साबित हुए हैं, और अब ईरान खुलकर इस पर काम कर रहा है.
ईरान ने IAEA (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) की टीम को भी देश से बाहर कर दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि अब किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था के पास ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कोई नियंत्रण नहीं है. ईरान के इस कदम ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है, और अब यह माना जा रहा है कि ईरान जल्द ही खुद को परमाणु शक्ति के रूप में घोषित कर सकता है.
शिया देशों का समर्थन और ईरान का आत्मविश्वास
ईरान का यह कदम अकेला नहीं है, बल्कि शिया देशों का समर्थन भी उसे मिल रहा है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अब इराक, लेबनान, अज़रबैजान, बहरीन, और यमन जैसे शिया बहुल देशों से भी समर्थन मिल रहा है. इन देशों की एकजुटता से ईरान के आत्मविश्वास में और वृद्धि हुई है. शिया समुदाय की एकता और बढ़ी है, खासकर मुहर्रम के अवसर पर, जब लाखों मुसलमान इमाम हुसैन की शहादत की याद में एकजुट होते हैं. इस समय ईरान अकेला नहीं है, और यह संदेश दुनिया को साफ तौर पर दिया जा रहा है कि ईरान के परमाणु मिशन को अब शिया देश भी समर्थन दे रहे हैं.
आईएईए की टीम का देश से बाहर जाना और ईरान की रणनीति
हाल ही में, ईरान ने IAEA की टीम को देश से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इससे साफ हो गया कि अब ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में किसी भी अंतर्राष्ट्रीय निगरानी से मुक्त हो गया है. इस कदम से ईरान की नीतियों में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है, और यह संकेत है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के अपने इरादे पर अडिग है.
ईरान ने अमेरिका और इजराइल को चुनौती दी है कि वह परमाणु बम बनाने में कोई भी रुकावट नहीं आने देगा. शुक्रवार को IAEA की टीम ने तेहरान से बाहर जाने के बाद यह स्पष्ट किया कि अब ईरान पर किसी भी प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय दबाव नहीं डाला जा सकता. इसके बाद ईरान का परमाणु परीक्षण बेहद नजदीक आ चुका है, और यह अनुमान जताया जा रहा है कि रविवार को यह परीक्षण हो सकता है.
इजराइल और अमेरिका का खुफिया तंत्र नाकाम
ईरान के परमाणु मिशन को लेकर इजराइल और अमेरिका की खुफिया एजेंसियां लगातार कार्यरत थीं, लेकिन अब तक उन्हें ईरान के गुप्त ठिकाने का पता नहीं चल सका है. इस रहस्य को खामेनेई और उनके करीबी लोग अपने तक सीमित रखे हुए हैं. इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद और अमेरिकी सीआईए दोनों ही ईरान के परमाणु ठिकाने और खामेनेई की लोकेशन का पता लगाने में नाकाम रहे हैं.
इजराइल ने बार-बार चेतावनी दी थी कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगा, लेकिन क्या वह इसे अंजाम दे पाएगा या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है. हालांकि, ईरान के पास अपनी परमाणु शक्ति दिखाने का अब कोई समय सही लगता है, और ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि ईरान ने अपने परमाणु मिशन को अंतिम चरण में ला दिया है.
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