'सोशल मीडिया से पूरी दुनिया को...', कर्नाटक सरकार ने BCCI और RCB को बताया बेंगलुरु भगदड़ जिम्मेदार

    बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस घटना की पूरी जिम्मेदारी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की है.

    Karnataka government blames BCCI and RCB for Bengaluru stampede
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- X

    बेंगलुरु: बेंगलुरु में हाल ही में हुई भगदड़ की घटना को लेकर कर्नाटक सरकार ने बड़ा बयान दिया है. बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस घटना की पूरी जिम्मेदारी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की है. सरकार का आरोप है कि आयोजकों ने न तो इस कार्यक्रम के लिए आवश्यक अनुमति ली थी और न ही भीड़ प्रबंधन के लिए कोई पर्याप्त व्यवस्था की थी.

    सोशल मीडिया के जरिए भीड़ का बुलावा

    राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने बताया कि आयोजकों ने इस इवेंट को व्यापक रूप से सोशल मीडिया पर प्रचारित किया, जिसके चलते भारी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने कहा, "BCCI और RCB ने सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक स्तर पर इस कार्यक्रम का निमंत्रण दिया, लेकिन स्थानीय प्रशासन को इसकी कोई समय रहते स्पष्ट जानकारी या अनुमति नहीं दी गई."

    आखिरी समय पर दी गई सूचना

    एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि RCB ने 3 जून को, मैच शुरू होने से महज एक घंटा पहले, राज्य सरकार को पत्र भेजकर 'विक्ट्री परेड' की योजना की सूचना दी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि आयोजकों ने इसे महज सूचना के तौर पर दिया, अनुमति लेने की कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं की.

    हादसे में 11 लोगों की मौत, 33 घायल

    गौरतलब है कि 4 जून को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आयोजित विक्ट्री परेड के दौरान भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई थी. इस दुखद हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 33 लोग घायल हुए थे. अनुमान है कि करीब 3 से 4 लाख लोग स्टेडियम और उसके आसपास मौजूद थे, जो स्थल की क्षमता से कई गुना अधिक थे.

    गिरफ्तारियों को लेकर कानूनी लड़ाई

    RCB के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले सहित चार अन्य लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर भी कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सोसले ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए दलील दी कि पुलिस अधिकारियों पर तो महज निलंबन की कार्रवाई की गई, जबकि आयोजकों को सीधे हिरासत में ले लिया गया. उन्होंने सवाल उठाया कि कानून का यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाया गया.

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