मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 24 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद भी मेडिकल गर्भपात कराने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि नाबालिग अपनी मर्जी से गर्भपात कराना चाहती है तो कानून उसे इसकी अनुमति देता है.
सोशल मीडिया से हुई दोस्ती
यह मामला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले का है, जहां एक युवक ने इंस्टाग्राम के माध्यम से नाबालिग से संपर्क कर दोस्ती की. धीरे-धीरे युवक ने विश्वास जमाया और बाद में उसका यौन शोषण किया.
इस घटना का खुलासा तब हुआ जब पीड़िता की मां ने देखा कि उनकी बेटी के पीरियड्स छह महीने से नहीं आए थे. मेडिकल जांच में सामने आया कि बच्ची गर्भवती है. इसके बाद तुरंत युवक के खिलाफ पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.
कोर्ट और मेडिकल बोर्ड की भूमिका
6 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अलीबाग सिविल अस्पताल के सर्जन को एक विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया. प्रारंभिक जांच में सामने आया कि पीड़िता को एनीमिया (खून की कमी) है और उसका हीमोग्लोबिन स्तर कम था. कोर्ट ने पहले स्वास्थ्य सुधार की सलाह दी.
ताजा सुनवाई में मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि अब पीड़िता गर्भपात की सर्जरी के लिए पूरी तरह फिट है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि इस सर्जरी से भविष्य में उसकी प्रजनन क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.
क्या कहता है भारतीय कानून?
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम, 1971 के अनुसार वर्ष 2020 में हुए संशोधन के बाद बलात्कार पीड़िताओं, नाबालिग लड़कियों, विवाहित या अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात की कानूनी छूट दी गई है.
यदि गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का हो, तो उस स्थिति में विशेष परिस्थितियों में मेडिकल बोर्ड की सिफारिश और न्यायालय की अनुमति अनिवार्य होती है. इस मामले में, कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर गर्भपात को सुरक्षित और न्यायोचित माना.
ये भी पढ़ें- सोनम केस में नए किरदार की एंट्री, कौन है जितेंद्र रघुवंशी जिसके खाते से होते थे लाखों के लेनदेन?