कानपुरः हेयर-ट्रांसप्लांट कराने में अब तक दो लोगों की मौत, CMO ने बैठाई जांच

    कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के नाम पर चल रही लापरवाह चिकित्सा व्यवस्था ने दो जिंदगियां लील लीं. अब ये मामला न सिर्फ शहर, बल्कि प्रदेशभर में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.

    Kanpur Two people have died hair transplant CMO
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के नाम पर चल रही लापरवाह चिकित्सा व्यवस्था ने दो जिंदगियां लील लीं. अब ये मामला न सिर्फ शहर, बल्कि प्रदेशभर में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है. फर्रुखाबाद और कानपुर के दो इंजीनियरों की मौत, एक ही तरह की सर्जरी के दौरान हुई, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है.

    तीन सदस्यीय जांच समिति गठित

    इन घटनाओं के सामने आने के बाद कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉ. हरी दत्त नेगी ने तत्काल एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जो इस पूरे प्रकरण की तह तक जाएगी. डॉ. नेगी ने बताया कि जांच पूरी गोपनीयता के साथ की जा रही है. कमेटी यह भी पता लगाएगी कि यह क्लिनिक कब से संचालित हो रहा था, कितने लोगों का यहां ट्रांसप्लांट किया गया और किस योग्यता के आधार पर यह सर्जरी की जा रही थी.

    विशेषज्ञों की मानें तो हेयर ट्रांसप्लांट एक बेहद संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसे केवल डर्मेटोलॉजिस्ट या प्लास्टिक सर्जन जैसे प्रशिक्षित विशेषज्ञ ही अंजाम दे सकते हैं, लेकिन शहर में कई ऐसे क्लिनिक चल रहे हैं जो केवल नामी डॉक्टरों के सहारे लाइसेंस लेकर, अंदर से अनट्रेंड स्टाफ या हायर किए गए चिकित्सकों से यह कार्य करवा रहे हैं.

    कौन से दो मामले?

    पहली घटना में फर्रुखाबाद निवासी एक युवक ने केशवपुरम स्थित क्लिनिक में डॉ. अनुष्का तिवारी से हेयर ट्रांसप्लांट कराया था. सर्जरी के बाद उसकी मौत हो गई. पीड़ित परिवार ने इस घटना की शिकायत छह महीने बाद, 13 मई को पुलिस से की. वहीं, दूसरी घटना कानपुर के ही असिस्टेंट इंजीनियर (AE) विनीत दुबे के साथ हुई, जिनकी मौत भी ट्रांसप्लांट के दौरान हुई.

    इन दोनों मामलों ने स्वास्थ विभाग को गंभीर जांच के लिए मजबूर कर दिया है. फिलहाल, सीएमओ कार्यालय मृतकों के बिसरा रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है. पोस्टमॉर्टम के बाद भी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया था, इसलिए बिसरा को सुरक्षित रखा गया था. रिपोर्ट आने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा.

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