नई दिल्ली: भारत अब आसमान में अपनी प्रभुत्व स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए भारत ने अस्त्र मार्क-2 मिसाइल का उत्पादन शुरू कर दिया है. यह उन्नत स्वदेशी मिसाइल पाकिस्तान और चीन की हालिया मिसाइल साझेदारी का सीधा जवाब मानी जा रही है.
पाकिस्तान को चीन से मिला PL-15E
हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जब क्षेत्र में तनाव बढ़ा, चीन ने पाकिस्तान को तुरंत PL-15E हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें मुहैया कर दीं. इन मिसाइलों को पाकिस्तान ने अपने JF-17 और J-10C लड़ाकू विमानों पर तैनात कर दिया है.
पाकिस्तान इसे अपनी वायुशक्ति में "बड़ा इजाफा" बता रहा है, खासकर भारत के राफेल फाइटर जेट्स को चुनौती देने के संदर्भ में. लेकिन भारत ने इसका जवाब शोरशराबे से नहीं, बल्कि तकनीकी मजबूती से दिया है.
अस्त्र मार्क-2: भारत का स्वदेशी जवाब
भारत की रक्षा अनुसंधान एजेंसी DRDO और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मिलकर विकसित की गई अस्त्र मार्क-2 मिसाइल को अब वायुसेना को सौंपना शुरू कर दिया है. यह मिसाइल पूरी तरह से भारत में बनी है और 160 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के विमानों को हवा में निशाना बना सकती है.
हाई-सेंसिटिव एक्टिव रडार सीकर: जो मिसाइल को लक्ष्य से जोड़ने में सक्षम बनाता है, भले ही वह नजर से ओझल हो.
अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर्स (ECCM): जिससे दुश्मन की जैमिंग तकनीकें प्रभावहीन हो जाती हैं.
तेज रफ्तार, घातक वार: दुश्मन को समय से पहले प्रतिक्रिया देने का मौका तक नहीं मिलता.
कहां-कहां तैनात होगी अस्त्र?
सुखोई-30MKI और तेजस जैसे भारत के अग्रणी फाइटर जेट पहले से ही अस्त्र मार्क-1 से लैस हैं. अब इन्हीं प्लेटफॉर्म्स पर अस्त्र मार्क-2 को भी लगाया जाएगा. इससे भारत की वायुसेना को लंबी दूरी की एरियल डॉमिनेंस मिल सकेगी, जो PL-15E जैसी मिसाइलों से बेहतर मानी जा रही है.
आत्मनिर्भर भारत, सशक्त भारत
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को रक्षा क्षेत्र में ठोस परिणाम मिल रहे हैं. अस्त्र मार्क-2 न केवल तकनीकी रूप से चीन की मिसाइलों की बराबरी करता है, बल्कि कई मामलों में उन्हें पीछे छोड़ता है.
यह मिसाइल भारत के लिए सिर्फ एक रक्षा उपकरण नहीं, बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है.
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