जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में उत्साह, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृति में मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं, भजन-कीर्तन होते हैं और भक्त पूरी रात उपवास रखते हुए उनके नाम का स्मरण करते हैं. श्रीकृष्ण केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा, नीति और जीवन के गूढ़ संदेशों के प्रतीक माने जाते हैं. उनकी लीलाएं, बालपन की शरारतें और राधा संग उनका दिव्य प्रेम, सदियों से लोगों को भक्ति की ओर आकर्षित करता रहा है.
शास्त्रों में भगवान कृष्ण के असंख्य नाम और मंत्र वर्णित हैं, जिन्हें जपने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं. लेकिन एक प्रश्न अक्सर भक्तों के मन में उठता है—इन मंत्रों में सबसे शक्तिशाली कौन-सा है? इस जिज्ञासा का समाधान संत प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में किया. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जितने भी नाम और मंत्र हैं, वे सभी समान रूप से शक्तिशाली हैं. कोई मंत्र कमज़ोर या अधिक प्रभावी नहीं होता, क्योंकि भगवान स्वयं अनंत हैं और उनके प्रत्येक नाम में वही दिव्य शक्ति समाई हुई है.
मंत्र का असर नहीं होता जब तक...
महाराज ने बताया कि किसी भी मंत्र का वास्तविक प्रभाव तभी मिलता है, जब उसे श्रद्धा, विश्वास और निरंतरता के साथ जपा जाए. यह जरूरी नहीं कि आप सबसे लोकप्रिय या लंबा मंत्र चुनें—अगर कोई मंत्र आपके हृदय को प्रिय है, या जो गुरु ने आपको दिया है, वही आपके लिए सबसे शक्तिशाली है. उन्होंने यह भी समझाया कि मंत्र केवल उच्चारण का विषय नहीं, बल्कि भाव और भक्ति का संगम है. जब मन, वाणी और आत्मा एक साथ जुड़कर मंत्र का जाप करते हैं, तभी वह सच्चे अर्थों में फलदायी होता है.
अपने प्रवचन में महाराज ने एक विशेष मंत्र भी बताया, जिसे कष्टों से मुक्ति के लिए प्रभावी माना जाता है.
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने.
प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:.." उनके अनुसार, इस मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन के दुख और बाधाएं दूर हो सकती हैं तथा मन में शांति और स्थिरता आ सकती है.
(नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, जिसका वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है. इसे आस्था और श्रद्धा के दृष्टिकोण से ही ग्रहण करें.)
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