Operation Mahadev: 22 अप्रैल को कश्मीर की खूबसूरत वादियों को लहूलुहान करने वाले पहलगाम आतंकी हमले के पीछे जिन चेहरों ने साजिश रची थी, उनका अंत ऑपरेशन महादेव में कर दिया गया. भारतीय सुरक्षा बलों ने महादेव पीक की ऊंचाई पर स्थित आतंकी ठिकाने को तबाह करते हुए तीन दुर्दांत आतंकियों को मार गिराया, जिनमें मुख्य साजिशकर्ता हाशिम मूसा भी शामिल था.
जांच एजेंसियों के हाथ लगी बड़ी कामयाबी
ऑपरेशन के बाद जांच एजेंसियों को अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिनसे पता चला है कि महादेव पीक पर 6 आतंकी कई महीनों से डेरा जमाए हुए थे. यह इलाका बेहद दुर्गम है, जिससे यह साफ हो जाता है कि आतंकियों की योजना लंबी और गंभीर थी.
खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया कि इन आतंकियों को रसद, पनाहगाह और हथियार मुहैया कराने वाला नेटवर्क स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) का था, जो पहलगाम हमले के बाद भी सक्रिय रहा. ISI और पाकिस्तानी सेना की शह पर चल रहे इस नेटवर्क को ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी गई थी.
आतंकियों की ढाल बना दुश्मन का नेटवर्क
सूत्रों के अनुसार, OGW नेटवर्क ने आतंकियों को हाई-प्रोटीन डाइट, हथियार छुपाने के खास ठिकाने और युद्ध जैसी स्थिति के लिए आवश्यक ट्रेनिंग प्रदान की. यही नहीं, हमले के बाद 10 से ज्यादा आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया, जिससे इस पूरे नेटवर्क की गहराई और पेशेवर तैयारी का अंदाजा लगाया जा सकता है.
मारे गए आतंकियों से बरामद हुए अमेरिकी हथियार
सबसे बड़ा खुलासा तो तब हुआ जब ढेर किए गए आतंकियों के पास से अमेरिकी M-4 राइफल बरामद हुई. यह वही हथियार है जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के पीछे छोड़ जाने के बाद तालिबान के कब्जे में गया और अब कश्मीर में आतंक का औजार बन चुका है.
यह पहली बार है कि ऐसे अमेरिकी हथियार भारत में आतंकियों के पास मिले हैं. खुफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों ने अफगान नेटवर्क से मिलकर इन्हें भारत के खिलाफ सक्रिय किया है.
साजिश रचोगे, तो खत्म कर दिए जाओगे
ऑपरेशन महादेव न सिर्फ एक जवाब था, बल्कि एक चेतावनी भी. अब भारत चुप नहीं बैठता, अब भारत घात नहीं करता, अब भारत प्रहार करता है. देश की सरहदों को अस्थिर करने की हर कोशिश का जवाब बारूद से नहीं, बल्कि बलिदान और बहादुरी से दिया जाएगा.
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