गाजा ही नहीं, पूरे फिलिस्तीन पर कब्जा करेगा इजरायल! नेतन्‍याहू ने कर द‍िए सिग्‍नेचर, जानें क्या है E1?

    इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा भू-राजनीतिक विवाद अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है.

    Israel will occupy not only Gaza but the whole of Palestine
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Social Media

    यरुशलम/तेल अवीव: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा भू-राजनीतिक विवाद अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वेस्ट बैंक के बेहद संवेदनशील इलाके E1 (ई-वन) में यहूदी बस्तियों के विस्तार की योजना को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है. यह फैसला न केवल फिलिस्तीनियों के लिए, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र के लिए एक भूकंप सरीखा प्रभाव पैदा कर सकता है.

    इस निर्णय को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की लहर दौड़ पड़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम "टू स्टेट सॉल्यूशन" (दो राष्ट्रों वाला हल) की संभावना को पूरी तरह समाप्त कर सकता है, जो दशकों से इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को सुलझाने का एकमात्र व्यावहारिक विकल्प माना जाता रहा है.

    E1 क्या है और यह क्यों इतना अहम है?

    E1 क्षेत्र, यरुशलम और माले अदुमिम के बीच स्थित एक रणनीतिक इलाका है, जो वेस्ट बैंक का हिस्सा है.

    यह इलाका:

    • पूर्वी यरुशलम को पश्चिमी वेस्ट बैंक से जोड़ता है
    • यदि इजरायल यहां यहूदी बस्तियां बसा देता है, तो इससे वेस्ट बैंक भौगोलिक रूप से दो हिस्सों में बंट जाएगा
    • इससे एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की संभावना लगभग असंभव हो जाएगी

    इसीलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बार-बार इस क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण को अवैध और खतरनाक करार दिया है.

    नेतन्याहू ने साइन किए सेटलमेंट प्लान पर

    अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू ने E1 सेटलमेंट एक्सपेंशन प्लान पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. योजना के अनुसार:

    • लगभग 3,500 नए अपार्टमेंट बनाए जाएंगे
    • इन अपार्टमेंट्स में यहूदी नागरिकों को बसाया जाएगा
    • यह बस्तियां माले अदुमिम के पास बनाई जाएंगी, जो पहले से ही एक प्रमुख यहूदी बस्ती है

    नेतन्याहू ने इस मौके पर कहा, “कोई फिलिस्तीनी राज्य नहीं बनेगा. यह जमीन हमारी है और हम इसमें अपने लोगों को बसाएंगे.”

    क्या है इस कदम का मतलब?

    1. फिलिस्तीन का भूगोल खत्म

    अगर यह योजना पूरी तरह लागू हो जाती है, तो वेस्ट बैंक के उत्तर और दक्षिण हिस्सों के बीच सीधा संपर्क टूट जाएगा.

    इसका मतलब है – एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का भौगोलिक ढांचा ही टूट जाएगा.

    2. अरब समुदायों पर खतरा

    इस क्षेत्र में रहने वाले बेदुइन समुदाय और अन्य फिलिस्तीनी नागरिकों को उनके घरों से जबरन बेदखल किया जा सकता है.
    विस्थापन के खतरे ने इन समुदायों में भय और आक्रोश पैदा कर दिया है.

    3. हिंसा और टकराव का नया दौर

    • वेस्ट बैंक में यहूदी सेटलर्स और फिलिस्तीनी नागरिकों के बीच झड़पें अब और ज़्यादा बढ़ सकती हैं.
    • पहले से ही यहां संपत्तियों पर हमले, आगजनी और गोलीबारी की घटनाएं बढ़ रही हैं.

    इसे अवैध क्यों माना जा रहा है?

    • संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, अमेरिका समेत दुनिया के अधिकांश देश वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों के निर्माण को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानते हैं
    • 1967 के बाद कब्जा किए गए इलाकों में इजरायल द्वारा की गई कोई भी बसाहट "अवैध कब्जा" की श्रेणी में आती है
    • इस तरह के निर्माण शांति प्रक्रिया को ध्वस्त कर देते हैं
    • यही कारण है कि इजरायल के इस फैसले की तेज आलोचना हो रही है.

    नेतन्याहू ने ये फैसला अभी क्यों लिया?

    हमास-इजरायल युद्ध का फायदा:

    हालिया युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान गाजा पर केंद्रित है, जिसका फायदा उठाकर नेतन्याहू ने वेस्ट बैंक में स्थायी बदलाव की कोशिश शुरू की है.

    घरेलू राजनीति में मजबूती:

    • यह फैसला इजरायल के दक्षिणपंथी वोटबैंक के लिए लोकप्रिय कदम हो सकता है.
    • नेतन्याहू की सरकार में सेटलमेंट समर्थक पार्टियां और नेता प्रमुख भूमिका में हैं.
    • यरुशलम को स्थायी राजधानी के रूप में स्थापित करना.

    नेतन्याहू की नीति रही है कि यरुशलम को इजरायल की "अविभाज्य राजधानी" के रूप में मान्यता दी जाए, और यह योजना उसी दिशा में एक कदम है.

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