येरूशलम से एक बड़ी खबर सामने आई है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान और बंधकों संबंधी हालिया घटनाक्रम पर अपनी मजबूत प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ईरान को लेकर कड़े शब्दों में चेतावनी दी और साथ ही बंधकों की रिहाई की दिशा में आशा भरी बात कही.
ईरान: मौत का रास्ता और इजरायल अवरोध
नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि ईरान “मौत का रास्ता” बन गया है. उनका कहना था कि ईरान कहता है कि वह मौत का रास्ता है...वह अमेरिका की मौत का नारा लगाता है, मगर उसकी राह इजरायल एक अवरोध की तरह खड़ा है. इस बयान में उन्होंने लगातार यह संदेश देकर ईरान की आक्रामक रवैये को चुनौती दी.
देश के दर्द को महसूस किया
नेतन्याहू ने उन इलाकों में भी दौरा किया, जहां ईरानी मिसाइलों का हमला हुआ था. उन्होंने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा गुश एत्ज़ियों में मारे गए व्यक्ति के परिवार के प्रति दिल से संवेदनाएं प्रकट करता हूं. इस दौरे में उन्होंने अपनी पत्नी सारा नेतन्याहू के साथ जाकर आतंक के खिलाफ जारी लड़ाई को मजबूत संदेश दिया.
बंधकों को जल्द ही घर लाने का वादा
बंधकों की रिहाई को लेकर भी नेतन्याहू ने स्पष्ट कदम उठाने का ऐलान किया मैंने जीवित और शहीद बंधकों के परिवारों से मुलाकात की. हम उन्हें वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. अगली बंधक रिहाई कुछ ही दिनों में हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा जब हमास को निरस्त्र किया जाए और गाज़ा को सैन्य रूप से सुरक्षित बनाया जाए. अगर कूटनीति काम नहीं आती, तो जरूरत पड़ी तो बल प्रयोग भी किया जाएगा.
हिज़्बुल्लाह को हराना ज़रूरी
साक्षात्कार में नेतन्याहू ने अब्राहम समझौते का जिक्र करते हुए बताया कि सीरिया को समझौते में शामिल करने की तैयारी तब तक नहीं हो सकती थी, जब तक हिज़्बुल्लाह और हाफ़िज़ असद को घेराबंदी न की जाती. उन्होंने सत्यापित किया कि यह निर्णय अरबी युद्धों की पृष्ठभूमि और हालिया रणनीति का हिस्सा था.
बंदूक पर शर्त, बंधन मुक्त हो सकते हैं
नेतन्याहू ने अभी तक बचे आधे–लगभग 25–30 बंधकों की रिहाई की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा हम जल्द ही बड़ी संख्या में अपने लोगों को घर ला सकेंगे. हमास ने भी संकेत दिया है कि वह 10 बंधकों को रिहा करने को तैयार है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी कुछ शर्तों के पूरा होने पर आधारित है.
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