इजरायल-ईरान जंग बढ़ी तो ये चीजें हो जाएंगी महंगी, जानें इन दोनों देशों से क्या-क्या खरीदता है भारत?

    पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच तेजी से बढ़ते सैन्य तनाव ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है.

    Israel-Iran war escalates these things will be expensive
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच तेजी से बढ़ते सैन्य तनाव ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है. कच्चे तेल की कीमतों में पहले ही तेजी देखी जा रही है और अगर यह संघर्ष पूर्ण युद्ध में बदलता है, तो भारत समेत पूरी दुनिया को इसके गंभीर आर्थिक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं. भारत, जो दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंध रखता है, इस संभावित युद्ध से कई स्तरों पर प्रभावित हो सकता है.

    भारत-इजरायल संबंध: क्या मंगाता है भारत?

    भारत और इजरायल के बीच रणनीतिक और व्यापारिक रिश्ते मजबूत हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने इजरायल को करीब 2.1 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि 1.6 अरब डॉलर का आयात किया.

    भारत इजरायल से क्या आयात करता है?

    • सैन्य उपकरण: मिसाइल सिस्टम, रडार, सर्विलांस तकनीक, लड़ाकू ड्रोन और उन्नत रक्षा हार्डवेयर
    • कीमती पत्थर और मोती
    • इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान
    • रासायनिक उत्पाद और उर्वरक

    इजरायल भारत का एक प्रमुख रक्षा साझेदार है और किसी भी सैन्य संघर्ष की स्थिति में इन आयातों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे रक्षा क्षेत्र में देरी और लागत वृद्धि संभव है.

    भारत-ईरान संबंध: किन वस्तुओं पर असर होगा?

    भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में ईरान से करीब 441.9 मिलियन डॉलर की वस्तुएं आयात कीं, जबकि लगभग 1.2 अरब डॉलर का निर्यात किया.

    भारत ईरान से मुख्य रूप से क्या मंगाता है?

    • कच्चा तेल (Crude Oil)
    • सूखे मेवे (खासकर पिस्ता और बादाम)
    • औद्योगिक रसायन
    • कांच के बर्तन और अन्य औद्योगिक सामान

    हालांकि भारत ने हाल के वर्षों में ईरान से कच्चा तेल आयात कम कर दिया था, फिर भी ईरान वैश्विक तेल आपूर्ति का एक अहम हिस्सा है. किसी भी बड़े संघर्ष की स्थिति में आपूर्ति बाधित हो सकती है.

    भारत से इन देशों को क्या निर्यात होता है?

    • बासमती चावल
    • चाय और कॉफी
    • चीनी और अन्य खाद्य उत्पाद
    • जैविक रसायन और दवाइयां

    अगर व्यापार मार्ग बंद होते हैं या शिपिंग लागत बढ़ती है, तो भारत के निर्यातकों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है.

    इन वस्तुओं के महंगे होने की आशंका

    विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि यह संघर्ष आगे बढ़ता है, तो भारत में इन क्षेत्रों में महंगाई बढ़ सकती है:

    पेट्रोल और डीजल: कच्चे तेल के दामों में उछाल का सीधा असर ईंधन की कीमतों पर पड़ेगा.

    हवाई यात्रा: मिडिल ईस्ट एयरस्पेस असुरक्षित होने पर फ्लाइट रूट्स लंबा करना पड़ेगा, जिससे किराया बढ़ेगा.

    सूखे मेवे: ईरान से आयातित पिस्ता, अखरोट और अन्य मेवे महंगे हो सकते हैं.

    उर्वरक और रसायन: खेती से जुड़ी लागत में इजाफा हो सकता है.

    रक्षा क्षेत्र: इजरायल से आने वाले सैन्य उपकरणों की आपूर्ति में बाधा आ सकती है, जिससे लागत और समय बढ़ सकता है.

    सप्लाई चेन और समुद्री मार्गों पर संकट

    मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से खासतौर पर होर्मुज की खाड़ी (Strait of Hormuz) प्रभावित हो सकती है, जहां से दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल गुजरता है. यदि यह मार्ग असुरक्षित होता है तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर बड़ा संकट आ सकता है.

    भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियां

    भारत को न केवल ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने की चुनौती होगी, बल्कि उसे अपने वैकल्पिक तेल आपूर्तिकर्ताओं जैसे रूस, सऊदी अरब और अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों को मजबूत करना होगा. साथ ही, भारत को अपने समुद्री मार्गों और हवाई रास्तों को सुरक्षित बनाए रखने के लिए भी तेज रणनीतिक निर्णय लेने पड़ सकते हैं.

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