पुराना हुआ इजरायल-गाजा और रूस-यूक्रेन युद्ध, अब ये दो देश जंग की कगार पहुंचे, क्यों बढ़ा तनाव?

वैश्विक राजनीति में रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा संघर्ष के बीच अब दो नए देशों के बीच तनाव खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है. हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं, जिससे संभावित सैन्य संघर्ष की आशंका जताई जा रही है.

Israel-Gaza and Russia-Ukraine wars have become old now these two countries have reached the brink of war
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

अदीस अबाबा: वैश्विक राजनीति में रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा संघर्ष के बीच अब दो नए देशों के बीच तनाव खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है. हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं, जिससे संभावित सैन्य संघर्ष की आशंका जताई जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह तनाव युद्ध में बदलता है, तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

समुद्री पहुंच विवाद का मुख्य कारण

इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच बढ़ते तनाव का प्रमुख कारण इथियोपिया की लाल सागर तक पहुंच प्राप्त करने की रणनीति है. इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने हाल ही में इस मुद्दे को 'अस्तित्वगत जरूरत' बताया था, हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका देश शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर है. वहीं, इरिट्रिया ने इस बयान को लेकर आक्रामक प्रतिक्रिया दी है और इथियोपिया की मंशा पर सवाल उठाए हैं.

सैन्य लामबंदी और बढ़ते संकेत

हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच सैन्य गतिविधियां तेज हुई हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इरिट्रिया ने युवाओं को सेना में भर्ती होने का आह्वान किया है, जबकि इथियोपिया ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. इसके अलावा, इरिट्रिया ने हाल ही में इथियोपियन एयरलाइंस की उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया और उनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और तनावपूर्ण हो गए हैं.

क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह विवाद संघर्ष में तब्दील होता है, तो इसका प्रभाव सिर्फ इथियोपिया और इरिट्रिया तक सीमित नहीं रहेगा. अफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की जा रही है ताकि किसी भी संभावित युद्ध को टाला जा सके. इरिट्रिया में मानवाधिकार संगठनों ने जबरन सैन्य भर्ती को लेकर चिंता जताई है और इसे नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है.

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