अमेरिका ने 2021 में जब अचानक अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं, तो पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे चंद दिनों में तालिबान ने वहां की सत्ता संभाल ली थी. अब एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराने की आशंका जताई जा रही है — इस बार इराक में.
इराक़ में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को लेकर तेज़ होते विद्रोह और कट्टर शिया गुटों की चेतावनियों ने हालात को और भी संवेदनशील बना दिया है. कताइब हिज़्बुल्लाह नाम के एक शक्तिशाली विद्रोही संगठन ने अब खुलकर अमेरिका को चेतावनी दी है — या तो समय रहते इराक़ छोड़ दो, या नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहो.
कताइब हिज़्बुल्लाह ने अमेरिका को दी आखिरी चेतावनी
कताइब हिज़्बुल्लाह के सीनियर सिक्योरिटी कमांडर अबू अली अल-अस्करी ने सोमवार को बयान जारी कर साफ किया कि उनका संगठन अमेरिकी सेना की हर हरकत पर नजर रख रहा है. उन्होंने ऐन अल-असद एयरबेस, कैंप विक्टोरिया, और जॉइंट ऑपरेशन कमांड जैसे अमेरिकी सैन्य अड्डों से पूर्ण वापसी की मांग की. अल-अस्करी ने तीखे शब्दों में कहा, "हम इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हमारा धैर्य अनंत नहीं है. अगर अमेरिका ने वादे पूरे नहीं किए, तो हम जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं."
सितंबर 2025 तक अमेरिकी वापसी तय
इराक की संसद पहले ही अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर प्रस्ताव पारित कर चुकी है. समझौते के मुताबिक, सितंबर 2025 से अमेरिकी सेनाएं इराक छोड़ना शुरू करेंगी. हालांकि, कट्टरपंथी गुटों का मानना है कि वाशिंगटन इस प्रक्रिया में देरी कर रहा है, और इसे "रणनीतिक चालबाज़ी" करार दे रहे हैं.
इराक में ताकतवर लेकिन असंतुलित शक्ति संतुलन
इराक़ की अपनी सेना अभी भी पूरी तरह सक्षम नहीं मानी जाती. दूसरी ओर, ईरान समर्थित मिलिशिया जैसे कि कताइब हिजबुल्लाह, असाइब अहल अल-हक़, और बदर संगठन पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं. ऐसे में अमेरिकी वापसी के बाद इराक़ में सत्ता के लिए नया संघर्ष छिड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि, इन गुटों ने फिलहाल सत्ता में आने का इरादा ज़ाहिर नहीं किया है, लेकिन यह सभी एक इस्लामी शासन प्रणाली की वकालत करते हैं — जो लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ टकराव में आ सकता है.
क्या अमेरिका फिर कर रहा है वही गलती?
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी ने वहां के भविष्य को एक अनिश्चित अंधकार में धकेल दिया था. क्या वही कहानी अब इराक में दोहराई जा रही है? क्या अमेरिका एक बार फिर अपनी रणनीतिक विफलता का बोझ दुनिया पर छोड़ कर निकलेगा? विशेषज्ञों की राय में, अगर हालात संभाले नहीं गए, तो इराक जल्द ही कट्टरपंथी गुटों के टकराव का नया अखाड़ा बन सकता है — और इस बार हालात अफगानिस्तान से भी ज्यादा विस्फोटक हो सकते हैं.
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