इजरायली डिफेंस सिस्टम को ईरानी मिसाइलों ने भेदा, क्या फेल हो गये आयरन डोम-एरो-3? तेल अवीव में तबाही

    बीते चार दिनों से ईरान और इजरायल के बीच घातक संघर्ष जारी है. इस संघर्ष ने न केवल जमीनी हमलों बल्कि हवा में भी सुरक्षा के मायनों को चुनौती दी है.

    Iranian missiles hit Israeli defense system
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    तेल अवीव: मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की भट्टी में तप रहा है. बीते चार दिनों से ईरान और इजरायल के बीच घातक संघर्ष जारी है. इस संघर्ष ने न केवल जमीनी हमलों बल्कि हवा में भी सुरक्षा के मायनों को चुनौती दी है. शुक्रवार रात से अब तक ईरान ने इजरायल की ओर 370 से अधिक मिसाइलें दागी हैं. इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) का दावा है कि उसने इन मिसाइलों में से अधिकांश को इंटरसेप्ट कर लिया, लेकिन कुछ मिसाइलें सुरक्षा कवच को चीरते हुए इजरायल के प्रमुख शहरों तक पहुंच गईं और वहां तबाही मचा दी.

    क्या हुआ हमलों में?

    ईरानी मिसाइलों ने तेल अवीव, हाईफा और अन्य महत्वपूर्ण शहरों को निशाना बनाया. बैट याम, तेल अवीव और उत्तरी इजरायल के इलाकों में मिसाइल हमलों के कारण दर्जनों नागरिक हताहत हुए. कई इमारतें आंशिक रूप से नष्ट हो गईं, और मलबे के बीच खोज और बचाव अभियान चलाना पड़ा.

    इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन मिसाइलों को "चलती हुई विस्फोटक बसें" कहा, जो नागरिक इलाकों में सीधे आकर टकरा रही हैं.

    ईरान ने जिस तरह से किरया परिसर, वीजमैन इंस्टीट्यूट और हाईफा के तेल रिफाइनरी क्षेत्रों को टारगेट किया, उसने इजरायल के सैन्य और औद्योगिक बुनियादी ढांचे की भी कमजोरियां उजागर कर दी हैं. किरया परिसर, जिसे इजरायल का ‘पेंटागन’ कहा जाता है, उस पर हमला दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया.

    क्या आयरन डोम और एरो-3 फेल हुए?

    इजरायल लंबे समय से अपने बहु-स्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम पर गर्व करता है. इसमें

    • आयरन डोम (Iron Dome): कम दूरी की मिसाइलों से सुरक्षा के लिए.
    • डेविड स्लिंग (David’s Sling): मध्यम दूरी की मिसाइलों के खिलाफ.
    • एरो-2 और एरो-3 (Arrow-2 and Arrow-3): लंबी दूरी और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए शामिल हैं.

    ईरान के हमलों में यह सिस्टम सक्रिय था और आंकड़ों के मुताबिक करीब 90% मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोका गया. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर 370 मिसाइलों में से करीब 10% भी सिस्टम को भेदने में सफल रहीं, तो छोटे से देश इजरायल के लिए यह भारी नुकसान है.

    विश्लेषकों का कहना है कि यह पूरी तरह से सुरक्षा प्रणाली की विफलता नहीं है, बल्कि यह ‘संतृप्ति हमले (Saturation Attack)’ का असर है. जब दुश्मन एक साथ भारी संख्या में मिसाइलें दागता है, तो किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम की इंटरसेप्टिंग क्षमता सीमित हो जाती है. सिस्टम थकने लगता है, इंटरसेप्टर मिसाइलें खत्म होने लगती हैं, और कुछ हमले सफल हो जाते हैं.

    ईरान कर रहा हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल

    इस संघर्ष में ईरान ने शाहेद हज कासेम मिसाइल का भी पहली बार उपयोग किया. यह ठोस ईंधन से चलने वाली, 1,600 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल है, जिसे हाइपरसोनिक श्रेणी में रखा जा रहा है.

    हाइपरसोनिक मिसाइलें, जिनकी गति मैक-5 (ध्वनि की गति से पांच गुना तेज) से अधिक होती है, वर्तमान एयर डिफेंस सिस्टम के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं. इस गति पर मिसाइल का इंटरसेप्शन करना बेहद कठिन हो जाता है.

    क्या इजरायल की सुरक्षा प्रणाली असफल हुई?

    तकनीकी रूप से देखें तो इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम अभी भी दुनिया में सबसे प्रभावशाली माना जाता है. 90% इंटरसेप्शन रेट किसी भी डिफेंस सिस्टम के लिए अत्यधिक सफल माना जाता है. लेकिन इजरायल जैसे घनी आबादी वाले छोटे देश में 10% मिसाइलों का जमीन पर गिरना भी बड़ा खतरा है, क्योंकि यह सीधा नागरिक जीवन और महत्वपूर्ण ढांचे को प्रभावित करता है.

    इजरायली सेना ने स्वीकार किया है कि कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम 100% सुरक्षा नहीं दे सकता. ईरान ने इस कमजोरी का फायदा उठाते हुए बड़े पैमाने पर हमले किए हैं और इजरायली सिस्टम की थकावट का इंतजार किया है.

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