ट्रंप से मिलना चाहता था पाकिस्तान! और पहुंच गए ईरान के राष्ट्रपति; क्या खिचड़ी पका रहे शहबाज-मुनीर?

    ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन 26 जुलाई को पाकिस्तान की यात्रा पर जाने वाले हैं, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है. इस यात्रा से पहले, पाकिस्तानी गृह मंत्री मोहसिन नकवी और उनके ईरानी समकक्ष एस्कंदर मोमेनी के बीच फोन पर बातचीत हुई.

    Iran President Pakistan Visit on 26 july what shehbaz will do
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    ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन 26 जुलाई को पाकिस्तान की यात्रा पर जाने वाले हैं, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है. इस यात्रा से पहले, पाकिस्तानी गृह मंत्री मोहसिन नकवी और उनके ईरानी समकक्ष एस्कंदर मोमेनी के बीच फोन पर बातचीत हुई, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने और पाकिस्तान में आई बाढ़ से हुए नुकसान पर दुख व्यक्त किया गया. यह यात्रा ईरान के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह अप्रैल 2024 में पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की यात्रा के बाद हो रही है, और इस दौरान ईरान और इजरायल-अमेरिका के बीच तनाव अपने चरम पर था.

    पेजेशकियन का यह दौरा इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि यह जून में ईरान और इजरायल-अमेरिका के बीच हुए संघर्ष के बाद हो रहा है. इससे पहले पाकिस्तान की मीडिया में यह चर्चा थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान का दौरा करेंगे, लेकिन व्हाइट हाउस ने इस कार्यक्रम की पुष्टि नहीं की. इसके बावजूद, ईरान के राष्ट्रपति इस समय पाकिस्तान का दौरा कर रहे हैं, जब दोनों देशों के बीच कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं.

    ईरान-पाकिस्तान के रिश्ते: एक जटिल समीकरण

    पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते जटिल और परिवर्तनशील रहे हैं. युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने ईरान की संप्रभुता का समर्थन किया था और ईरान के खिलाफ किसी भी तरह के हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया था. हालांकि, जब ईरान ने पाकिस्तान की मदद के लिए सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव दिया, तो पाकिस्तान ने उस समय कदम पीछे खींच लिए थे. इसके बावजूद, पाकिस्तान ने हमेशा इजरायल और अमेरिका की क्षेत्रीय आक्रामकता का विरोध किया है.पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने 15 जून को पेजेशकियन से फोन पर बात करते हुए ईरान के साथ एकजुटता का संदेश दिया था और संयुक्त राष्ट्र से इजरायल की आक्रामकता रोकने की मांग की थी.

    यात्रा का संभावित एजेंडा

    हालांकि पेजेशकियन की यात्रा के एजेंडे को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा में कुछ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. इनमें बलूचिस्तान में सुरक्षा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) और इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव शामिल हो सकते हैं. विशेष रूप से, बलूचिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैश अल-अदल और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के खिलाफ सहयोग और सीमा सुरक्षा के मुद्दे प्रमुख हो सकते हैं. साथ ही, ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी चर्चा की जा सकती है.

    पाकिस्तान की स्थिति: दो मोर्चों पर संतुलन

    पाकिस्तान के लिए इस समय अपनी विदेश नीति को संतुलित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है. एक ओर वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जबकि दूसरी ओर उसे ईरान का समर्थन भी करना है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ हाल में हुई बातचीत में क्षेत्रीय स्थिरता की बात की थी, लेकिन इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान के लिए ईरान के प्रति पूरी तरह से समर्थन दिखाना मुश्किल हो सकता है.हालांकि, पेजेशकियन की पाकिस्तान यात्रा क्षेत्रीय गठबंधनों को मजबूत करने का एक अच्छा अवसर हो सकता है, लेकिन कूटनीतिक दृष्टि से यह ईरान के लिए किसी बड़ी सफलता की ओर नहीं बढ़ता दिखता. पाकिस्तान के अंदरूनी राजनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती इस यात्रा को और भी जटिल बना देती है.

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