पाकिस्तान में इन दिनों सियासी हलचल अपने चरम पर है. राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बीच हो रही उच्चस्तरीय बैठकों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन बैठकों के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था में किसी बड़े बदलाव का संकेत मिल रहा है.
खबरें ये भी आ रही हैं कि राष्ट्रपति जरदारी इस्तीफा देने का विचार कर रहे हैं, या फिर पाकिस्तान में संसदीय प्रणाली को खत्म कर राष्ट्रपति प्रणाली की शुरुआत की जा सकती है. इसके चलते यह सवाल उठने लगा है कि क्या पाकिस्तान में फिर से कोई बड़ा राजनीतिक परिवर्तन होने वाला है?
राष्ट्रपति जरदारी के इस्तीफे की संभावना
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी इस्तीफा दे सकते हैं. उनका कहना था कि जरदारी अपने उत्तराधिकारी के लिए रास्ता खोल सकते हैं. इस पर उन्होंने बताया कि यह मुद्दा राष्ट्रपति जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीच बैठक के दौरान उठाया गया था, लेकिन बाद में इन अटकलों को निराधार बताते हुए खारिज किया गया.
ख्वाजा आसिफ ने मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स को झूठा प्रचार बताते हुए कहा कि इस तरह की खबरें पत्रकारिता की साख को नुकसान पहुँचाती हैं. हालांकि, पाकिस्तान के कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन बैठकों का उद्देश्य पाकिस्तान के संविधान में संशोधन करना और राष्ट्रपति प्रणाली को लागू करना हो सकता है. कुछ पत्रकारों ने तो यह भी दावा किया है कि पाकिस्तान में राष्ट्रपति शासन का आगाज हो सकता है, और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को नए राष्ट्रपति के रूप में देखा जा सकता है.
"हाइब्रिड मॉडल" और सेना की भूमिका
इन बैठकों को लेकर पाकिस्तान में एक नई चर्चा शुरू हो गई है, जिसे कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ "हाइब्रिड मॉडल" के रूप में देख रहे हैं. यह मॉडल सेना और निर्वाचित सरकार के साझे संचालन का संकेत देता है, जिसे अब खुले तौर पर स्वीकार किया जा रहा है. पाकिस्तान के कुछ प्रमुख अधिकारियों का मानना है कि सेना प्रमुख को वैश्विक स्तर पर जो मान्यता मिल रही है, वह इस नए राजनीतिक संतुलन का संकेत है.
ख्वाजा आसिफ ने इस बारे में कहा कि फिलहाल किसी भी संवैधानिक संशोधन पर विचार नहीं किया जा रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि संविधान में बदलाव करना पूरी तरह से वैध प्रक्रिया है और इसे पहले भी कई बार किया जा चुका है.
राष्ट्रपति प्रणाली की ओर कदम
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर एक बार फिर से पाकिस्तान में राष्ट्रपति शासन को लागू करने का इरादा रखते हैं. इस बदलाव के बाद सारी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होगी, जैसा कि पहले जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन में था. यदि ऐसा हुआ, तो यह पाकिस्तान में एक प्रकार का तख्तापलट हो सकता है, जिससे पाकिस्तान की सत्ता संरचना पूरी तरह बदल सकती है.
बैठकें और राजनीतिक संदेश
इन उच्चस्तरीय बैठकों के दौरान प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठकें की गईं, जो सत्ताधारी गठबंधन के भीतर राजनीति के नए समीकरण को समझने की कोशिश कर रहे थे. पाकिस्तान के कई विशेषज्ञों का मानना है कि इन बैठकों का उद्देश्य केवल राजनीतिक रणनीति पर विचार करना नहीं, बल्कि देश के भविष्य की दिशा तय करना हो सकता है.
पाकिस्तानी अखबार द ट्रिब्यून के अनुसार, ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तान के "हाइब्रिड मॉडल" की सफलता की पुष्टि की है. उनका कहना था कि पाकिस्तान के इस मॉडल को विदेशों में भी स्वीकार किया गया है और यह कामयाब रहा है.
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