Iran nuclear program us israel: ईरान ने परमाणु संयंत्रों पर हमले के बावजूद अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अडिग रहने का संकल्प लिया है. देश के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनका देश अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को छोड़ने का कोई इरादा नहीं रखता. उन्होंने इसे ईरान के राष्ट्रीय गौरव और वैज्ञानिक उपलब्धि से जोड़ा और कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
अराघची ने कहा, "हमारा यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम सिर्फ नागरिक उद्देश्यों के लिए है, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीय ताकत और गौरव का प्रतीक भी है. हमारे वैज्ञानिकों ने इसे हासिल किया है और हम इसे जारी रखेंगे." उन्होंने यह भी बताया कि भले ही हमले के कारण कई परमाणु सुविधाओं को नुकसान हुआ है, लेकिन ईरान इसका मुकाबला करने के लिए तैयार है. उनके अनुसार, "संवर्धन को रोकने के लिए कोई ठोस कारण नहीं है क्योंकि यह हमारे लिए सम्मान का प्रश्न है."
अमेरिकी और इजरायली हमलों से हुए नुकसान का स्वीकार
ईरानी विदेश मंत्री ने यह स्वीकार किया कि हाल ही में अमेरिका और इजरायल द्वारा किए गए हमलों में उनकी परमाणु सुविधाओं को गंभीर नुकसान हुआ है. "हमारी सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है और यह निश्चित रूप से गंभीर है," उन्होंने कहा. हालांकि, वे इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दे पाए कि इस नुकसान का मूल्यांकन किस हद तक किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस नुकसान का असर काफी गहरा है.
इजरायल और अमेरिका की चिंता
अमेरिका और इजरायल का मानना है कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को उस स्तर तक बढ़ा सकता है, जहां से वह जल्दी परमाणु हथियार बना सके. हालांकि, तेहरान लगातार यह दावा करता रहा है कि उनका प्रोग्राम केवल शांति और नागरिक उद्देश्यों के लिए है.
संघर्ष और हमले की परिस्थितियाँ
यह विवाद तब और बढ़ गया, जब 13 जून को इजरायल ने ईरान पर हवाई हमले किए, जिसके बाद दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया. इस युद्ध में अमेरिका भी शामिल हो गया, और ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत ईरान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया. अमेरिकी सेना ने बी-2 स्पिरिट बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया और 30,000 पाउंड के GBU-57 बंकर बस्टर बमों से तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण फोर्डो फैसिलिटी भी शामिल थी.
तेहरान का संदेश
तेहरान की यह स्पष्ट नीति है कि वह किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नहीं झुकेगा. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि परमाणु ऊर्जा से जुड़े उनके कार्यक्रम का उद्देश्य केवल देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है, लेकिन उन्होंने इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और गौरव से भी जोड़ रखा है. अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर क्या कदम उठाता है, और क्या वैश्विक दबाव उसे अपनी योजनाओं में कोई बदलाव करने के लिए मजबूर कर पाएगा.
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