तेहरान: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने बुधवार को एक ऐसा ऐलान किया जिसने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है. उन्होंने घोषणा की कि ईरान ने ‘न्यूक्लियर फ्यूल साइकल’ (परमाणु ईंधन चक्र) को पूरी तरह से देश में ही विकसित कर लिया है. इस उपलब्धि का अर्थ है कि अब ईरान यूरेनियम खनन से लेकर परमाणु ऊर्जा उत्पादन तक की संपूर्ण प्रक्रिया में बाहरी मदद के बिना सक्षम हो गया है.
यह घोषणा ऐसे समय आई है जब पश्चिमी देश, विशेषकर अमेरिका और इज़राइल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पहले से ही सतर्क और सशंकित हैं. विश्लेषकों के अनुसार, ईरान का यह कदम मध्य पूर्व में शक्ति-संतुलन को एक बार फिर झकझोर सकता है.
क्या है न्यूक्लियर फ्यूल साइकल?
परमाणु ईंधन चक्र एक ऐसी श्रृंखला है जो यूरेनियम को खदान से निकालने से लेकर, उसे ऊर्जा उत्पादन में उपयोग करने और उसके बाद बचे हुए रेडियोधर्मी कचरे के सुरक्षित निपटान तक फैली होती है. इसे मुख्य रूप से तीन चरणों में बांटा जा सकता है:
फ्रंट एंड (Front-End):
मिड साइकिल:
बैक एंड:
ईरान का दावा है कि उसने इन सभी चरणों को देश में ही वैज्ञानिक रूप से नियंत्रित और निष्पादित करने की क्षमता हासिल कर ली है.
ईरान के ऐलान के राजनीतिक मायने
इस घोषणा का महत्व सिर्फ तकनीकी नहीं है, रणनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर इसके व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं:
1. प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता
अब ईरान को परमाणु ऊर्जा के लिए न तो फ्रांस, रूस और न ही चीन जैसी शक्तियों पर निर्भर रहना होगा. यह देश की रणनीतिक स्वतंत्रता का संकेत है.
2. अमेरिका-इज़राइल की चिंता बढ़ेगी
हालांकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन इसके पीछे छिपी संभावनाएं – जैसे परमाणु हथियार निर्माण की क्षमता – अमेरिका और इज़राइल की चिंता का कारण बनती हैं. दोनों देश पहले भी ईरान के ऐसे किसी भी प्रयास को "रेड लाइन" करार दे चुके हैं.
3. JCPOA की वापसी पर असर
2015 में हुए Joint Comprehensive Plan of Action (JCPOA) से अमेरिका के बाहर निकलने और प्रतिबंधों के बाद यह ऐलान इस डिप्लोमैटिक समझौते के भविष्य पर सवाल खड़े करता है. ईरान संभवतः अमेरिका और यूरोपीय ताकतों के साथ वार्ताओं में अब मजबूत मोलभाव की स्थिति में आ जाएगा.
4. मिडिल ईस्ट का शक्ति संतुलन बदल सकता है
ईरान यदि पूरी तरह से परमाणु ईंधन चक्र को नियंत्रित करने में सफल रहता है, तो सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी अपनी सुरक्षा रणनीतियों पर पुनर्विचार कर सकते हैं.
क्या यह परमाणु हथियार की ओर बढ़ता कदम?
तकनीकी रूप से न्यूक्लियर फ्यूल साइकल का पूरा होना, परमाणु हथियार बनाने की क्षमता का आधार बन सकता है – लेकिन यह जरूरी नहीं कि ईरान ऐसा करेगा. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षण और निगरानी अब पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे.
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