इजरायली हमलों के बीच ईरान ने बदला खुफिया प्रमुख, युद्ध के बीच नई रणनीति की तैयारी; इजरायल में मचेगा हाहाकार?

    ईरान ने ब्रिगेडियर जनरल माजिद खादमी को IRGC के खुफिया संगठन का नया प्रमुख नियुक्त किया है.

    Iran changed intelligence chief amid Israeli attacks
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध ने मध्य-पूर्व को एक बार फिर बारूद के ढेर पर ला खड़ा किया है. इस संघर्ष का सबसे बड़ा झटका ईरान को तब लगा जब एक इजरायली हवाई हमले में IRGC (इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के खुफिया प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद काज़ेमी और उनके डिप्टी हसन मोहाकिक मारे गए. यह हमला 15 जून को हुआ था, और अब छह दिन बाद ईरान ने अपने खुफिया ढांचे की कमान नए चेहरे को सौंप दी है.

    अब खुफिया तंत्र की जिम्मेदारी माजिद खादमी के हाथ

    ईरान ने ब्रिगेडियर जनरल माजिद खादमी को IRGC के खुफिया संगठन का नया प्रमुख नियुक्त किया है. इससे पहले खादमी, रक्षा मंत्रालय के इंटेलिजेंस प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन का नेतृत्व कर चुके हैं, जहां उन्होंने ईरानी रक्षा तंत्र में आंतरिक सुरक्षा और जासूसी-रोधी ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाई थी.

    पाकपौर बोले– नया नेतृत्व लाएगा स्थिरता

    IRGC के कमांडर-इन-चीफ मेजर जनरल मोहम्मद पाकपौर ने खादमी की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा, “शहीद हुए कमांडरों काज़ेमी और मोहाकिक के कार्यकाल में खुफिया क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति हुई थी. अब हमें इस कार्य को नई ऊंचाई तक पहुंचाना है.”

    इस नियुक्ति को सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की ओर से युद्धकालीन रणनीति के तहत देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि खादमी का अनुभव, इजरायल के खिलाफ खुफिया जवाबी रणनीति को मजबूती देगा.

    क्यों है माजिद खादमी की नियुक्ति अहम?

    खादमी के पास IRGC के अंदर गोपनीय सूचनाओं की सुरक्षा, सैन्य अधिकारियों की गतिविधियों की निगरानी, और सूचना रिसाव रोकने का वर्षों का अनुभव है. ऐसे समय जब इजरायल लगातार ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बना रहा है, उनकी भूमिका और भी अहम हो गई है. विशेषज्ञ मानते हैं कि खादमी की नियुक्ति का सीधा मतलब है— ईरान अब अधिक संगठित और आक्रामक खुफिया रणनीति के साथ मैदान में उतरेगा.

    युद्ध में अब तक क्या हुआ?

    15 जून के इजरायली हमले के बाद से दोनों देशों के बीच संघर्ष काफी तेज हो गया है. इजरायल ने अपने 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स के साथ ईरान के नतांज़ और फोरदो जैसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं. इनमें IRGC के वरिष्ठ कमांडर हुसैन सलामी, जनरल बघेरी, और गुलामअली राशिद की भी मौत की खबर है. इसके जवाब में, 14 जून को ईरान ने इजरायल के हाइफा और तेल अवीव पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. हाइफा की बजान तेल रिफाइनरी पर बड़ा नुकसान हुआ है.

    अमेरिका की भूमिका पर बढ़ती नजरें

    इस पूरे घटनाक्रम के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी काफी अहम हो गया है, जिसमें उन्होंने ईरान पर "हमले की संभावना" जताई है. अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या वाकई अमेरिका इस जंग में उतरने वाला है या यह सिर्फ कूटनीतिक दबाव का हिस्सा है.

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