Iran And Israel War: मध्य पूर्व में तनाव फिर चरम पर है. इजरायल और ईरान के बीच हालिया संघर्ष ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है. इजरायल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट को निशाना बनाया, जिसके जवाब में ईरान ने चेतावनी दी है कि पलटवार "तय और निर्णायक" होगा. इस तनाव के बीच ईरान की मिसाइल क्षमता एक बार फिर से वैश्विक चर्चा में आ गई है. ईरान की मिसाइल फोर्स को मध्य पूर्व की सबसे खतरनाक ताकतों में से एक माना जाता है. आइए जानते हैं ईरान के पास कैसी मिसाइलें हैं, क्यों इनसे इजरायल की चिंता बढ़ी हुई है और कैसे ये मिसाइलें इस संघर्ष का रुख पलट सकती हैं.
ईरान के मिसाइल सिस्टम की ताकत क्या है?
ईरान ने हाल के वर्षों में अपनी मिसाइल तकनीक को न सिर्फ मजबूत किया है, बल्कि उसे अंडरग्राउंड मिसाइल सिटीज़ में सुरक्षित भी कर लिया है. इन मिसाइलों में कई ऐसी हैं जो आधे घंटे से भी कम समय में इजरायल तक पहुंच सकती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने चीन से मिसाइल तकनीक से जुड़ा मटेरियल मंगाया है और रूस व उत्तर कोरिया से भी तकनीकी मदद ली है.
अमेरिका का खुफिया आंकलन
एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, ईरान के पास करीब 2,000 बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिनमें से कई 900 किलोग्राम या उससे अधिक विस्फोटक ले जाने में सक्षम हैं.
ईरान की खतरनाक मिसाइलें: एक नजर
फतह-1 (हाइपरसोनिक मिसाइल): 2023 में बनाई गई यह मिसाइल मैक 5 यानी आवाज से पांच गुना अधिक गति से उड़ती है. इसकी रेंज 1400 किमी है और इसका जटिल उड़ान मार्ग इसे इजरायल के डिफेंस सिस्टम जैसे आयरन डोम से बचने में मदद करता है. इसे गेम चेंजर मिसाइल माना जाता है.
सेजिल: 2500 किमी की रेंज वाली यह मिसाइल ठोस ईंधन से चलती है और 17,000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से निशाना साध सकती है. इसे मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.
खैबर: 2000 किमी रेंज वाली यह मिसाइल अपनी सटीकता के लिए जानी जाती है और इजरायल के सैन्य ठिकानों को सीधा निशाना बना सकती है.
हज कासेम: 1400 किमी रेंज वाली इस मिसाइल का उपयोग पहले भी इजरायल पर हमले में किया जा चुका है.
इमाद और खोरमशहर: तरल ईंधन से चलने वाली ये मिसाइलें भी 2000 किमी तक हमला कर सकती हैं.
ईरान की मिसाइलें क्यों हैं इजरायल के लिए गंभीर चुनौती?
अत्याधुनिक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी: फतह-1 जैसी मिसाइलें इजरायल के डिफेंस सिस्टम जैसे आयरन डोम, डेविड स्लिंग और एरो सिस्टम को चकमा दे सकती हैं क्योंकि इनकी गति और मार्ग को इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन है.
मास लॉन्च स्ट्रेटजी: ईरान की रणनीति यह रही है कि वह एक साथ सैकड़ों मिसाइलें दागकर इजरायल के रक्षा सिस्टम को ओवरलोड कर दे, जिससे कई मिसाइलें बच निकलें और अपने टारगेट तक पहुंच जाएं.
मोबाइल लॉन्चर: ईरान के मोबाइल लॉन्चर्स मिसाइलों को कहीं से भी दागने की क्षमता देते हैं, जिससे उनके हमलों की भविष्यवाणी करना और उन्हें समय रहते नष्ट करना इजरायल के लिए कठिन हो जाता है.
यह भी पढ़ें: क्या है खुफिया जंग, परमाणु दस्तावेज़ और हवाई हमलों की असली कहानी, क्यों हो रहा इजराइल-ईरान के बीच युद्ध?