Israel and Iran War: मध्य-पूर्व में तनाव कोई नई बात नहीं, लेकिन हाल के दिनों में इज़रायल और ईरान के बीच जो घटनाएं सामने आई हैं, उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है. जहां एक ओर ईरान का दावा है कि उसने इज़रायल के गोपनीय परमाणु दस्तावेज़ हासिल कर लिए हैं, वहीं दूसरी ओर इज़रायल ने जवाबी कार्रवाई में ईरान के कथित परमाणु ठिकानों पर जोरदार हवाई हमले किए हैं. क्या वाकई ईरान के हाथ इज़रायल की सबसे बड़ी खुफिया जानकारी लग गई है? या यह केवल एक मनोवैज्ञानिक युद्ध है? आइए इस पूरे घटनाक्रम को करीब से समझते हैं.
क्या सच में ईरान के पास इज़रायल की परमाणु जानकारी है?
ईरान के सरकारी मीडिया और खुफिया तंत्र का दावा है कि उन्होंने इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी हजारों संवेदनशील फाइलें और गोपनीय दस्तावेज़ प्राप्त कर लिए हैं. ईरानी विश्लेषकों के मुताबिक, इन दस्तावेजों में डिमोना परमाणु रिएक्टर समेत इज़रायल की कई सीक्रेट साइट्स की पूरी जानकारी है.
ईरान ने तो यहां तक कहा है कि उन्होंने इज़रायल के डिमोना रिएक्टर को नुकसान भी पहुंचाया है और वहां विकिरण का रिसाव हो रहा है. ईरान के इस दावे के पीछे उनका तर्क यह है कि अगर इज़रायल ईरान पर कोई बड़ा हमला करता है, तो उनके पास भी करारा जवाब देने का पूरा अधिकार और तैयारी है.
इज़रायल का जवाब: हमले और पुराने सिद्धांत की पुनरावृत्ति
इज़रायल लंबे समय से अपनी ‘पूर्व-खतरे का खात्मा’ (Pre-Emptive Strike) की नीति पर चलता आ रहा है. वह पहले भी सीरिया और इराक में परमाणु ठिकानों को नष्ट कर चुका है. हालिया हवाई हमलों के बाद इज़रायल ने दावा किया कि उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचाया है.
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान इज़रायल ने भी यह स्वीकार किया है कि उसके देश में ईरान के लिए काम करने वाले जासूस पकड़े जा चुके हैं. इससे इस जासूसी युद्ध के और गहराने की आशंका बढ़ जाती है.
हकीकत क्या है?
अभी तक अंतरराष्ट्रीय मीडिया या स्वतंत्र जांच एजेंसियों के पास ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि ईरान ने वाकई इज़रायल के परमाणु दस्तावेज़ चुरा लिए हैं. हालांकि, ईरानी साइबर यूनिट्स, जैसे APT34 और APT35, इज़रायल के सुरक्षा नेटवर्क पर लगातार साइबर हमले करती रही हैं. लेकिन अब तक यह हमले डाटा चोरी से ज्यादा सिस्टम को बाधित करने तक ही सीमित दिखे हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब परमाणु दस्तावेज़ को लेकर किसी देश ने ऐसा दावा किया हो. याद कीजिए, 2018 में इज़रायल ने तेहरान से ईरान के परमाणु दस्तावेज़ चुराने का दावा किया था, जिसे दुनिया ने काफी हद तक प्रमाणिक भी माना था.
अगर ईरान के दावे सही निकले तो?
अगर वाकई ईरान के पास इज़रायल के परमाणु दस्तावेज़ हैं, तो इसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं. दुनिया को इज़रायल के परमाणु हथियारों की असली संख्या और उनकी लोकेशन पता चल सकती है. इज़रायल की सुरक्षा नीति कमजोर पड़ सकती है. मिडिल ईस्ट में परमाणु होड़ और तेज हो सकती है. अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव में इज़रायल को अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर सफाई देनी पड़ सकती है. यही कारण हो सकता है कि इज़रायल ने इतनी तेजी से ईरान के खिलाफ हमले किए, ताकि संभावित खतरे को समय रहते खत्म किया जा सके.
इज़रायल और ईरान के परमाणु कार्यक्रम: एक नजर में
इज़रायल कभी आधिकारिक रूप से परमाणु शक्ति होने की बात स्वीकार नहीं करता. अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़रायल के पास करीब 80-90 परमाणु हथियार हैं. डिमोना परमाणु संयंत्र इसका मुख्य केंद्र माना जाता है. इज़रायल के पास "ट्रायड" क्षमता (मिसाइल, पनडुब्बी और फाइटर जेट) मानी जाती है. ईरान IAEA के अनुसार, ईरान ने 60% तक संवर्धित यूरेनियम स्टॉक कर लिया है, जो परमाणु बम के लिए खतरनाक स्तर है. विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के "ब्रेकआउट" पॉइंट के बेहद करीब है. वह 3-5 हफ्तों में एक बम बनाने लायक फ्यूल तैयार कर सकता है. ईरान का परमाणु इंफ्रास्ट्रक्चर गुप्त सुरंगों और मजबूत सैन्य ठिकानों में फैला हुआ है.
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