मनीला: भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक और सैन्य सहयोग ने एक नया मोड़ ले लिया है. दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों की नौसेनाएं पहली बार एक साथ समुद्री अभ्यास कर रही हैं, जिसे ‘मैरीटाइम कोऑपरेशन एक्टिविटी’ (Maritime Cooperation Activity) नाम दिया गया है. यह संयुक्त अभ्यास 3 अगस्त, रविवार से शुरू होगा और इसके जरिए न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती दी जाएगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सक्रिय भूमिका का भी संकेत मिलेगा.
भारतीय नौसेना के तीन प्रमुख जहाज आईएनएस दिल्ली (INS Delhi - D61), आईएनएस किल्टन (INS Kiltan - D30) और आईएनएस शक्ति (INS Shakti - A57) पहले ही फिलीपींस की राजधानी मनीला के बंदरगाह पर पहुंच चुके हैं. इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी तालमेल को बेहतर बनाना, संचार और समन्वय प्रक्रियाओं को मजबूत करना और क्षेत्र में एक स्थिर और संतुलित सुरक्षा ढांचे को बढ़ावा देना है.
भारत-फिलीपींस: बढ़ती नौसैनिक साझेदारी
फिलीपींस में भारत के राजदूत हर्ष कुमार जैन ने जानकारी दी कि यह अभ्यास भारत-फिलीपींस द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई देने वाला है. यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर जल्द ही भारत की राजकीय यात्रा पर आने वाले हैं. राजदूत जैन ने इसे राष्ट्रपति की यात्रा के लिए "सकारात्मक भूमिका" वाला कदम बताया और कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों के आपसी विश्वास और सहयोग की गहराई को दर्शाता है.
अभ्यास की रणनीतिक संरचना
इस अभ्यास के दौरान दोनों नौसेनाएं न केवल युद्धाभ्यास करेंगी, बल्कि नेविगेशन, समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी रणनीति, और संयुक्त युद्ध संचालन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी सहयोग करेंगी. इसमें ध्यान संचार प्रोटोकॉल, संचालन अभ्यास, और तालमेल में सुधार पर होगा. यह अभ्यास पारंपरिक पासिंग एक्सरसाइज (PASSEX) से कहीं अधिक गहन और जटिल है.
भारत और फिलीपींस के बीच इस तरह का यह पहला पूर्ण नौसैनिक सहयोग अभ्यास है. पहले भी भारतीय युद्धपोतों ने फिलीपींस का दौरा किया है, लेकिन इस बार यह सहयोग अधिक संगठित, रणनीतिक और स्थायी दृष्टिकोण से किया जा रहा है.
भारतीय बेड़े की ताकत
मनीला पहुंचे भारतीय जहाजों में शामिल हैं:
इन जहाजों की कमान भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के कमांडर, रियर एडमिरल सुशील मेनन के हाथों में है, जो अभ्यास के संचालन और रणनीतिक तालमेल की निगरानी कर रहे हैं.
चीन के लिए स्पष्ट संदेश?
यह अभ्यास केवल एक रणनीतिक सहयोग नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-सुरक्षा सन्देश भी माना जा रहा है. दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति और आक्रामक रुख को लेकर फिलीपींस सहित कई देशों में चिंता बनी हुई है. भारत, जो खुद चीन के साथ कई मोर्चों पर तनाव का सामना कर चुका है, जैसे कि डोकलाम, गलवान और अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद अब क्षेत्रीय स्थिरता में अपनी भूमिका को लेकर और मुखर हो रहा है.
भारत अब अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों की तरह, फिलीपींस और अन्य आसियान देशों के साथ रणनीतिक सहयोग बढ़ा रहा है. यह अभ्यास उस दिशा में एक और ठोस कदम है. यह स्पष्ट करता है कि भारत अब केवल समुद्र में अपनी मौजूदगी दिखाने तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनना चाहता है.
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