तुर्की बना 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट का निर्यातक, यह मुस्लिम देश खरीदेगा KAAN, जानें इसकी ताकत

    दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व के दो बड़े मुस्लिम देशों — इंडोनेशिया और तुर्की — ने सामरिक सहयोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है.

    Indonesia will get 5th generation fighter jets KAAN from Turkey
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    अंकारा/जकार्ता: दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व के दो बड़े मुस्लिम देशों — इंडोनेशिया और तुर्की — ने सामरिक सहयोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. दोनों देशों के बीच पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों KAAN की बिक्री और उत्पादन साझेदारी को लेकर एक अभूतपूर्व रक्षा समझौता हुआ है, जिसकी वैश्विक सैन्य और कूटनीतिक हलकों में गूंज सुनाई दे रही है.

    शनिवार को इस्तांबुल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी (IDEF) के दौरान $10 अरब मूल्य की इस डील पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर हुए. इसके तहत तुर्की इंडोनेशिया को 48 उन्नत फाइटर जेट KAAN की आपूर्ति करेगा, जो न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक हैं, बल्कि पश्चिमी हथियारों की निर्भरता से हटकर मुस्लिम देशों के बीच रक्षा स्वावलंबन का प्रतीक भी बन रहे हैं.

    सिर्फ खरीदी नहीं, उत्पादन और तकनीक साझेदारी भी

    यह समझौता केवल एक परंपरागत रक्षा खरीद नहीं है, बल्कि इसमें तकनीकी हस्तांतरण, संयुक्त उत्पादन, और औद्योगिक बुनियादी ढांचे की साझेदारी जैसे कई रणनीतिक आयाम शामिल हैं.

    तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (TAI) के सहयोग से इंडोनेशिया में नए उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जहां भविष्य में KAAN के हिस्सों का निर्माण और असेंबली संभव होगी. तुर्की के उपराष्ट्रपति सेवदत यिलमाज ने इस अवसर पर कहा, "हमारा रक्षा उद्योग अब वैश्विक मंच पर नई ऊँचाइयों को छू रहा है. इंडोनेशिया के साथ हुआ यह सौदा केवल सैन्य नहीं, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता और राजनीतिक आत्मविश्वास का भी प्रतीक है."

    KAAN: तुर्की की आत्मनिर्भरता का हवाई प्रतीक

    तुर्की का KAAN जेट, जिसे पहले TF-X नाम से जाना जाता था, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के ‘राष्ट्रीय रक्षा स्वावलंबन अभियान’ की सबसे बड़ी परियोजना है. इस फाइटर जेट को तुर्की की रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह स्वदेशी क्षमताओं से तैयार किया गया है और यह पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की श्रेणी में आता है — यानी अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी, मल्टीरोल फंक्शन, सुपरक्रूज़ स्पीड और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर जैसी खूबियों से लैस.

    2023 में इसका सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया और 2024 में इसकी पहली सफल उड़ान हुई. 2028 से इसके सीरियल प्रोडक्शन की शुरुआत होगी, और 2030 से इसकी डिलीवरी इंडोनेशिया को शुरू होगी.

    तकनीकी विशेषताएं: KAAN को बनाती हैं विशिष्ट

    • स्टील्थ डिजाइन: रडार से बच निकलने वाली संरचना, जो अत्याधुनिक लो ऑब्ज़र्वेबिलिटी सामर्थ्य प्रदान करती है.
    • सुपरक्रूज़ क्षमता: बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने की क्षमता.
    • एआई-इंटीग्रेटेड एविऑनिक्स: पायलट की सहायता के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित डिसीजन सपोर्ट सिस्टम.
    • नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर: यह विमान अन्य जेट, ड्रोन, और सैटेलाइट्स से जुड़कर सामूहिक युद्ध रणनीति का हिस्सा बन सकता है.
    • मल्टीरोल फंक्शन: हवाई श्रेष्ठता, जमीनी लक्ष्यों पर सटीक हमला, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर — सभी क्षमताओं से लैस.

    KAAN जेट न केवल तुर्की की सैन्य शक्ति को नया स्तर देता है, बल्कि मुस्लिम दुनिया में पहला स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान भी है.

    इंडोनेशिया की सोच: पश्चिम से हटकर नया सैन्य संतुलन

    इंडोनेशिया का यह निर्णय केवल रक्षा उन्नयन की दृष्टि से नहीं, बल्कि उसकी भू-राजनीतिक सोच में आ रहे बदलाव का भी संकेत है. दशकों तक पश्चिमी आपूर्ति श्रृंखला (विशेषकर अमेरिका और यूरोप) पर निर्भर रहने वाला इंडोनेशिया अब मल्टी-पोलर डिफेंस डिप्लोमेसी को अपना रहा है.

    तुर्की के साथ यह डील, जिसमें औद्योगिक साझेदारी और उत्पादन आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है, इंडोनेशिया को भविष्य में सैन्य निर्यातक राष्ट्र बनने की दिशा में भी प्रेरित कर सकती है.

    क्या इस्लामिक रक्षा ब्लॉक की शुरुआत है यह?

    रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा केवल दो देशों के बीच नहीं, बल्कि मुस्लिम दुनिया में एक संभावित सामूहिक रक्षा सहयोग की नींव भी हो सकता है. हाल के वर्षों में तुर्की, पाकिस्तान, मलेशिया और कतर जैसे देश संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीकी साझेदारी की ओर अग्रसर हुए हैं.

    KAAN जेट की बिक्री से तुर्की खुद को मुस्लिम राष्ट्रों के बीच एक विश्वसनीय रक्षा भागीदार के रूप में स्थापित करना चाहता है, और इंडोनेशिया जैसे रणनीतिक राष्ट्रों का सहयोग इसे और विश्वसनीय बना रहा है.

    चीन और अमेरिका की नजरें इस डील पर

    इस डील के रणनीतिक प्रभावों से चीन और अमेरिका दोनों चिंतित हो सकते हैं:

    • चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया में एक और उन्नत सैन्य शक्ति का उभरना अपने क्षेत्रीय वर्चस्व के लिए चुनौती महसूस हो सकती है.
    • वहीं अमेरिका, जो अभी तक इंडोनेशिया को पश्चिमी ब्लॉक में देखता रहा है, इस ‘तुर्की-इंडोनेशिया’ धुरी को नई सामरिक असहमति के रूप में देख सकता है.

    हालांकि इंडोनेशिया अब भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ सुरक्षा अभ्यास करता है, लेकिन यह डील दर्शाती है कि वह अब विकल्पों की दुनिया में सोच रहा है.

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