'उम्मीद है वह पाकिस्तान को समझाएगा कि आतंकवाद का समर्थन बंद करे...' भारत का तुर्की को दो टूक संदेश

    भारत ने तुर्की से साफ शब्दों में कहा है कि यदि वह क्षेत्रीय शांति का समर्थक है, तो उसे पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद का समर्थन रोकने के लिए मजबूर करना चाहिए.

    Indias clear message to Turkiye and Pakistan
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत ने तुर्की से साफ शब्दों में कहा है कि यदि वह क्षेत्रीय शांति का समर्थक है, तो उसे पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद का समर्थन रोकने के लिए मजबूर करना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने यह उम्मीद जताई कि तुर्की, आतंकवाद से लड़ाई में गंभीरता दिखाते हुए पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव डालेगा.

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "हम आशा करते हैं कि तुर्की, पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश देगा कि आतंकवाद का समर्थन अस्वीकार्य है, और उसे अपनी ज़मीन से संचालित हो रहे आतंकी नेटवर्क के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए."

    भारत-तुर्की संबंधों में तनाव की पृष्ठभूमि

    हाल के महीनों में भारत और तुर्की के रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है. इसकी प्रमुख वजह तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक समर्थन देना रहा है, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब भारत ने सीमा पार से हो रहे आतंकी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की थी.

    सूत्रों के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन और सैन्य उपकरण उपलब्ध कराए हैं. इन उपकरणों का उपयोग कथित रूप से भारत के खिलाफ किया गया, जिससे भारतीय रणनीतिक समुदाय में चिंता और असंतोष दोनों बढ़े हैं.

    तुर्की निर्मित ड्रोन का पाकिस्तान द्वारा उपयोग

    भारतीय सेना की एक वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि हालिया सीमा पार हमलों में जिन ड्रोन का उपयोग किया गया, वे तुर्की के असिसगार्ड सोंगार मॉडल के थे. प्रारंभिक जांच के अनुसार, ये ड्रोन पाकिस्तान को रक्षा सहयोग के तहत मिले थे. यह सीधे तुर्की की सैन्य सहायता को इंगित करता है.

    भारत में नाराजगी: बहिष्कार की लहर

    तुर्की और उसके सहयोगी अजरबैजान को लेकर भारत में नागरिकों के बीच रोष लगातार बढ़ रहा है. सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं.

    यह नाराजगी केवल राजनयिक स्तर तक सीमित नहीं रही — भारतीय नागरिकों और उपभोक्ताओं ने इन देशों के उत्पादों, पर्यटन और ब्रांडों का विरोध शुरू कर दिया है. कई राजनीतिक और सामाजिक समूह भी इस अभियान में सक्रिय हैं.

    तुर्की की कूटनीति और भारत की प्रतिक्रिया

    तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को एक संदेश भेजा था जिसमें उन्होंने कहा, "हम अच्छे और बुरे समय में आपके साथ खड़े रहेंगे."

    यह संदेश भारत के लिए संकेत था कि तुर्की अब भी पाकिस्तान के रणनीतिक पक्ष में खड़ा है, विशेष रूप से कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर.

    भारत ने इस रुख को केवल एकतरफा समर्थन नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन के लिए खतरा माना है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, और इस पर कोई तीसरा पक्ष टिप्पणी या हस्तक्षेप नहीं कर सकता.

    राजनयिक संवाद और आगे की राह

    भारत ने तुर्की के राजनयिकों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता में सेलेबी मामले और अन्य रक्षा सहयोग मुद्दों को उठाया है. हालांकि, विदेश मंत्रालय का कहना है कि कुछ फैसले नागरिक उड्डयन सुरक्षा विभाग द्वारा लिए गए थे — यह संकेत है कि भारत अब मामले को संस्थागत और रणनीतिक दृष्टिकोण से देख रहा है.

    भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई राजनीतिक नरमी या कूटनीतिक संतुलन स्वीकार्य नहीं होगा.

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