तेहरान/नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच जारी सैन्य संघर्ष के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की तैयारियां तेज कर दी हैं. मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय छात्रों और नागरिकों को सीधा ईरान से एयरलिफ्ट करना असंभव माना जा रहा है. ऐसे में उन्हें जमीनी रास्ते से सुरक्षित बाहर लाने का विकल्प चुना गया है.
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने आर्मेनिया में भारतीय दूतावास के जरिए ईरान से लगे नॉरदुज बॉर्डर पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने की योजना बनाई है. ईरानी अधिकारियों ने भी विदेशी नागरिकों के लिए लैंड बॉर्डर खोलने की अनुमति दे दी है.
कैसे लौटेंगे भारतीय छात्र?
सीधे ईरान से रेस्क्यू क्यों नहीं?
मौजूदा सैन्य हालात के कारण ईरान से सीधे हवाई मार्ग से भारतीयों को निकालना फिलहाल बेहद जोखिम भरा है.
इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:
ऐसे में जमीनी रास्ते से सुरक्षित सीमा पार कराकर, फिर सुरक्षित देश से उड़ान भरवाना फिलहाल सबसे सुरक्षित विकल्प है.
ईरान ने तय की प्रक्रिया
ईरान सरकार ने विदेशी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कुछ आवश्यक प्रक्रियाएं तय की हैं.
यात्रियों को प्रस्थान से पहले ईरानी विदेश मंत्रालय के जनरल प्रोटोकॉल विभाग में अपना नाम, पासपोर्ट नंबर, वाहन की जानकारी, प्रस्थान समय और चुनी गई सीमा चौकी की सूचना पहले से जमा करनी होगी.
तेहरान में हालात भयावह
एक स्थानीय नागरिक ने रॉयटर्स को बताया, "शहर में कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है, कोई सार्वजनिक शेल्टर नहीं है जहां हम भागकर जान बचा सकें."
इजरायल की चेतावनी
इजरायल ने रविवार को एक चेतावनी जारी कर दी थी कि हथियार निर्माण स्थलों के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग तत्काल वहां से निकल जाएं, क्योंकि आगामी हमले और भी बड़े स्तर पर हो सकते हैं.
भारत की सक्रियता
भारतीय विदेश मंत्रालय लगातार तेहरान स्थित भारतीय दूतावास और आर्मेनिया में भारतीय मिशन के साथ संपर्क में है. जल्द ही छात्रों और अन्य भारतीय नागरिकों के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था की जा सकती है.
सरकार की अपील:
भारतीय विदेश मंत्रालय ने ईरान में रह रहे भारतीय नागरिकों से आग्रह किया है कि वे अपने दस्तावेज तैयार रखें, स्थानीय दूतावास के संपर्क में रहें और किसी भी अफवाह से बचें. सभी नागरिकों को सीमा पार करने से पहले निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करने की सख्त सलाह दी गई है.
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