India-Russia Friendship: भारत और रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के मजबूत रिश्तों की शुरुआत एक ऐतिहासिक संधि से हुई थी, जिसे आज भी रणनीतिक सहयोग का प्रतीक माना जाता है.
9 अगस्त 1971 को नई दिल्ली में भारत और सोवियत संघ ने 'शांति, मित्रता और सहयोग संधि' पर हस्ताक्षर किए थे. यह संधि 20 वर्षों के लिए वैध थी और इसमें दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा सहयोग की प्रतिबद्धता जताई गई थी.
गुटनिरपेक्ष भारत की नई रणनीति
भारत उस समय गुटनिरपेक्ष आंदोलन का हिस्सा था, लेकिन पाकिस्तान, अमेरिका और चीन के बढ़ते संबंधों ने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी थीं. इन परिस्थितियों में भारत ने अपनी विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए सोवियत संघ के साथ यह रणनीतिक साझेदारी की.
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भूमिका
इस संधि की प्रासंगिकता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उजागर हुई, जब सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के पक्ष को मजबूत किया और सैन्य दबाव को संतुलित किया. इसका सीधा असर बांग्लादेश के निर्माण पर पड़ा.
1991 में संधि का नवीनीकरण और सोवियत विघटन
यह संधि 8 अगस्त 1991 को और 20 वर्षों के लिए बढ़ा दी गई थी. लेकिन उसी वर्ष के अंत में सोवियत संघ का विघटन हो गया, जिससे यह संधि औपचारिक रूप से समाप्त हो गई.
भारत-रूस रिश्ते आज भी मजबूत
हालांकि संधि अब अस्तित्व में नहीं है, पर भारत और रूस के रिश्ते आज भी गहरे और भरोसेमंद बने हुए हैं. रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और व्यापार जैसे क्षेत्रों में दोनों देश लगातार सहयोग कर रहे हैं.
एक ऐतिहासिक मोड़
1971 की यह संधि भारत के कूटनीतिक इतिहास का एक निर्णायक मोड़ थी. यह केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच और वैश्विक स्थिति को बदलने वाला कदम था.
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