युद्ध के लिए तैयार भारत! मेक इन इंडिया के तहत बन रहे 90% गोला-बारूद, जानें पूरी डिटेल

    Make in India Ammunition: मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर भले ही केवल चार दिनों में समाप्त हो गया था, लेकिन भारतीय सेना नए साल 2026 में दीर्घकालिक और लगातार युद्ध संचालन के लिए खुद को पूरी तरह तैयार कर रही है.

    India ready for war 90% ammunition is being made under Make in India know complete details
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    Make in India Ammunition: मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर भले ही केवल चार दिनों में समाप्त हो गया था, लेकिन भारतीय सेना नए साल 2026 में दीर्घकालिक और लगातार युद्ध संचालन के लिए खुद को पूरी तरह तैयार कर रही है. इस बार फोकस केवल रणनीति और सैनिकों की क्षमता पर नहीं, बल्कि स्वदेशी हथियार और गोला-बारूद पर केंद्रित है. 

    भारतीय सेना अब लगभग 90 प्रतिशत स्वदेशी एम्युनिशन का उपयोग कर रही है, जिससे ना केवल आत्मनिर्भरता बढ़ी है, बल्कि लॉजिस्टिक्स और दीर्घकालिक संचालन की क्षमता भी मजबूत हुई है.

    आयात घटा, स्वदेशी उत्पादन बढ़ा

    भारतीय सेना की रणनीति साफ है: विदेशी गोला-बारूद पर निर्भरता घटाई जाए और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए. इसके लिए पिछले चार-पाँच वर्षों में खरीद प्रक्रिया में सुधार किया गया है. अब यह प्रक्रिया सरल और प्रतिस्पर्धी हो गई है ताकि अधिक भारतीय कंपनियां रक्षा क्षेत्र में शामिल हो सकें.

    मेक इन इंडिया के तहत बड़े ऑर्डर

    मेक इन इंडिया पहल के तहत अब तक लगभग 16,000 करोड़ रुपये के हथियार और गोला-बारूद के ऑर्डर विभिन्न चरणों में हैं. इसके अलावा, पिछले तीन साल में लगभग 26,000 करोड़ रुपये का गोला-बारूद भारतीय कंपनियों को आपूर्ति के लिए दिया गया. भारतीय सेना लगभग 200 प्रकार के गोला-बारूद और सटीक हथियार इस्तेमाल करती है, जिनमें से 90 प्रतिशत से अधिक अब देश में ही तैयार किए जा रहे हैं.

    इस दिशा में नीति सुधार और उद्योग के साथ समन्वय का भी बड़ा योगदान है. शेष श्रेणियों पर भी तेजी से काम चल रहा है, जिसमें अनुसंधान संस्थान, सार्वजनिक क्षेत्र और निजी उद्योग की भागीदारी है.

    निजी कंपनियों के लिए लंबे समय तक ऑर्डर

    गोला-बारूद बनाने वाली बड़ी निजी कंपनियों को अगले 7-10 सालों तक लगातार ऑर्डर देने का आश्वासन दिया गया है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि रक्षा क्षेत्र में निजी उद्योग की भागीदारी स्थायी और भरोसेमंद हो. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना की टॉप लीडरशिप लगातार सेना को लंबे युद्ध के लिए तैयार रहने की सलाह दे रही है. हालांकि, भारत कभी भी युद्ध का पक्षधर नहीं रहा, लेकिन सुरक्षा और आत्मरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा.

    गोला-बारूद और लॉजिस्टिक्स: सेना की रीढ़

    युद्ध या किसी भी सैन्य अभियान में गोला-बारूद, स्पेयर पार्ट्स और लॉजिस्टिक्स का रोल रीढ़ की हड्डी की तरह होता है. यही कारण है कि भारतीय सेना ने आत्मनिर्भरता को अपनी तैयारी का अहम आधार बनाया है. आधुनिक हथियारों के साथ-साथ लंबे समय तक अभियान को संचालित करने की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो गई है.

    आत्मनिर्भर भारत की ओर: मेक इन इंडिया-मेक फॉर द वर्ल्ड

    पहले सेना की गोला-बारूद आपूर्ति पुराने ढांचे और विदेशी स्रोतों पर निर्भर थी. वैश्विक स्तर पर आई बाधाओं ने यह साबित कर दिया कि जिन देशों के पास घरेलू उत्पादन की मजबूत व्यवस्था होती है, वे लंबी अवधि तक तैयार रह सकते हैं. इसी सोच के तहत भारतीय सेना आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया-मेक फॉर द वर्ल्ड पहल के तहत आगे बढ़ रही है.

    आगामी समय में निम्नलिखित क्षेत्रों पर रहेगा:

    • कच्चे माल की घरेलू उपलब्धता बढ़ाना
    • प्रोपेलेंट और फ्यूज जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों का विकास
    • उत्पादन ढांचे का आधुनिकीकरण
    • तकनीक का तेज हस्तांतरण
    • कड़े गुणवत्ता मानक

    इन कदमों से सेना की दीर्घकालिक तैयारी, परिचालन क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी.

    पिछले 10 सालों में जबरदस्त वृद्धि

    पिछले दस वर्षों में भारत के रिजर्व वॉर-स्टोर में जबरदस्त इजाफा हुआ है. एक समय था जब सेना के पास केवल 10 दिनों का गोला-बारूद बचा था. उस समय सरकारी उपक्रम ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड (OFB) ही प्रमुख आपूर्तिकर्ता था और निजी कंपनियों की भागीदारी नगण्य थी.

    मोदी सरकार की मेक इन इंडिया नीति के तहत अब सरकारी कंपनियों के साथ-साथ अडानी डिफेंस, सोलर इंडस्ट्रीज, SMPP और भारत-फोर्ज जैसी करीब 20 निजी कंपनियां भी हथियार और गोला-बारूद का उत्पादन कर रही हैं.

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