ISRO Achievements In 2025: 2025 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और समग्र भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है. यह वह साल था जब भारत ने अंतरिक्ष में अपनी ताकत और क्षमता को साबित किया और अंतरिक्ष तकनीक में अपनी पैठ को और मजबूत किया. एक ओर जहां स्पेस डॉकिंग, भारी उपग्रह लॉन्च जैसे कई तकनीकी उपलब्धियों ने देश को गौरवान्वित किया, वहीं भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की उड़ान ने भी इस साल को खास बना दिया. श्रीहरिकोटा से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक, भारत ने साबित किया कि वह अब अंतरिक्ष की दुनिया का एक प्रमुख खिलाड़ी बन चुका है. आइए जानते हैं 2025 में ISRO की उन 10 बड़ी उपलब्धियों के बारे में, जिन्होंने अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन किया.
1. भारत ने स्पेस डॉकिंग में किया प्रवेश
2025 की शुरुआत भारत के लिए अंतरिक्ष की दुनिया में एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आई. भारत ने स्पेस डॉकिंग तकनीक में सफलता हासिल की, जिससे वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन गया. स्पैडेक्स मिशन के तहत, दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में एक साथ जोड़ा गया, जो एक अत्यंत कठिन कार्य था. यह सफलता भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.
2. शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष में उड़ान
2025 में भारत ने अंतरिक्ष में एक नया अध्याय जोड़ा. भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी. यह भारतीय अंतरिक्ष यात्रा का ऐतिहासिक पल था, जब राकेश शर्मा के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में पहुंचा. यह मिशन भारत के गगनयान मिशन की प्रैक्टिस के रूप में भी महत्वपूर्ण था, जिससे भारत भविष्य में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए तैयार हो रहा है.
3. LVM3 रॉकेट
ISRO का सबसे भारी रॉकेट LVM3 (पहले GSLV Mk-III) 2025 में सबसे बड़ा गेम चेंजर साबित हुआ. इसने साबित कर दिया कि भारत अब किसी भी भारी उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है. इस रॉकेट की सफलता ने ISRO को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विकल्प बना दिया है, खासकर भारी उपग्रहों के लॉन्च के मामले में.
4. ब्लू बर्ड का ऐतिहासिक लॉन्च
24 दिसंबर 2025 को LVM3-एम6 रॉकेट ने अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के 6,100 किलोग्राम वजनी ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट में सफलतापूर्वक भेजा. यह भारत के लिए एक बड़ा मील का पत्थर था, क्योंकि यह अब तक का सबसे बड़ा कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट था.
5. ISRO की साख को मिली मजबूती
2025 में LVM3 रॉकेट ने 8-9 मिशनों में सफलता हासिल की, जिससे भारत के अंतरिक्ष मिशनों की सफलता दर में एक नया रिकॉर्ड बना. इसने भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एक नई पहचान दी और वैश्विक वाणिज्यिक बाजार में भारत की साख को मजबूत किया.
6. गगनयान: भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा का सपना
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2025 में तेजी से प्रगति कर रहा है. इस साल गगनयान मिशन के लिए कई महत्वपूर्ण परीक्षण किए गए, जैसे कि क्रायोजेनिक इंजन और क्रू मॉड्यूल टेस्टिंग. अब 2027 में भारत के अंतरिक्ष यात्री गगनयान के माध्यम से अंतरिक्ष में उड़ान भरने की दिशा में तैयार हैं.
7. निसार और 100वीं लॉन्चिंग
निसार (NISAR) मिशन, जो ISRO और NASA का संयुक्त प्रयास था, जुलाई 2025 में लॉन्च हुआ. यह पृथ्वी की तस्वीर लेने के लिए सबसे उन्नत रडार सैटेलाइट है. इसके साथ ही, 29 जनवरी 2025 को 100वीं लॉन्चिंग का जश्न भी मनाया गया, जब भारत ने अपना नाविक (NavIC) सैटेलाइट लॉन्च किया, जिससे भारत का अपना जीपीएस सिस्टम अब और भी सशक्त हुआ.
8. आदित्य-L1 और प्राइवेट सेक्टर का उभार
भारत ने अपनी पहली सूर्य मिशन आदित्य-L1 को 2025 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इस मिशन के डेटा ने न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता को साबित किया बल्कि पूरे विश्व के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी का स्रोत भी बना. साथ ही, भारत के प्राइवेट सेक्टर की सक्रियता भी बढ़ी, जहां कंपनियों जैसे स्काईरूट और अग्निकुल ने अपने रॉकेट बनाने शुरू किए.
9. नासा और ISRO का संयुक्त मिशन
निसार मिशन, जो नासा और ISRO का एक संयुक्त प्रयास था, ने 2025 में पृथ्वी की सबसे सटीक रडार तस्वीरों को उपलब्ध कराया. यह जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से निपटने में मददगार साबित होगा.
10. भारत के 300 स्पेस स्टार्टअप्स और अंतरिक्ष का वाणिज्यिक भविष्य
2025 में भारत में 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स ने अपनी गतिविधियाँ शुरू की. सरकार की 100% एफडीआई पॉलिसी और 1000 करोड़ के वेंचर फंड ने इन स्टार्टअप्स को और गति दी है. अब भारत का लक्ष्य है ग्लोबल स्पेस इकोनॉमी में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 8-10% तक ले जाना.
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