Indian Missile Test: भारत द्वारा बंगाल की खाड़ी में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल के संभावित परीक्षण की तैयारियों ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है. जहां चीन पहले से ही भारत के इस तरह के परीक्षणों पर अपनी निगरानी रखता आया है, अब अमेरिका की गतिविधियों ने भी ध्यान खींचा है. अमेरिका का टोही पोत ‘ओसियन टाइटन’ (Ocean Titan) अब हिंद महासागर क्षेत्र में पहुंच चुका है.
इससे पहले चीन का सर्विलांस शिप ‘युआन वांग-5’ (Yuan Wang-5) भी मलक्का जलडमरूमध्य को पार कर इस क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है. माना जा रहा है कि दोनों देशों के जहाज भारत के इस महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षण पर नजर रखने के उद्देश्य से यहां पहुंचे हैं.
मिसाइल परीक्षण की रेंज में बड़ा इजाफा
भारत ने 6 अक्टूबर को एक ‘नोटिस टू एयरमैन’ (NOTAM) जारी किया था, जिसमें 15 से 17 अक्टूबर के बीच बंगाल की खाड़ी में मिसाइल परीक्षण की घोषणा की गई थी. शुरुआत में उड़ान निषेध क्षेत्र (No-Fly Zone) की लंबाई 1480 किलोमीटर निर्धारित की गई थी.
लेकिन अगले ही दिन यह सीमा बढ़ाकर 2520 किलोमीटर कर दी गई. फिर महज कुछ घंटों में यह दूरी और बढ़ाकर 3550 किलोमीटर कर दी गई. यह इशारा करता है कि परीक्षण की जाने वाली मिसाइल लंबी दूरी की हो सकती है, और संभवतः यह अग्नि श्रृंखला की कोई उन्नत मिसाइल है.
केवल चीन ही नहीं, अब अमेरिका भी करेगा निगरानी?
पिछले वर्षों में चीन ने अपने ‘युआन वांग’ श्रेणी के जहाजों के माध्यम से भारत के मिसाइल परीक्षणों पर बारीकी से नजर रखी है. ये जहाज वैज्ञानिक अनुसंधान और उपग्रह ट्रैकिंग की आड़ में असल में एक तरह से निगरानी मिशन पर होते हैं.
लेकिन इस बार अमेरिका का ‘ओसियन टाइटन’ जैसे जहाज का इस क्षेत्र में सक्रिय होना एक नई और महत्वपूर्ण घटना है. जानकारों का मानना है कि अमेरिका पहली बार भारत के मिसाइल परीक्षण के समय इस तरह सक्रिय दिख रहा है.
यह स्थिति तब सामने आई है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में हाल ही में कुछ खटास की खबरें सामने आई हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका अब पाकिस्तान के साथ सैन्य और रणनीतिक संबंधों को फिर से मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है. वहीं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे हालिया मामलों ने भी दोनों देशों के बीच तनाव को जन्म दिया है.
चीन और अमेरिका की निगरानी रणनीति
अमेरिका का ‘ओसियन टाइटन’ और चीन का ‘युआन वांग-5’, दोनों जहाजों का इस क्षेत्र में एक ही समय पर मौजूद रहना किसी सामान्य संयोग से अधिक प्रतीत होता है. विश्लेषकों का कहना है कि ये दोनों देश भारत की सैन्य क्षमताओं और मिसाइल टेक्नोलॉजी की बारीकियों को समझने के लिए ये निगरानी कर रहे हैं.
मालदीव के पास इन जहाजों की मौजूदगी यह भी दर्शाती है कि इनकी लोकेशन इस प्रकार चुनी गई है जिससे वे बंगाल की खाड़ी में होने वाली किसी भी सैन्य गतिविधि को ट्रैक कर सकें.
भारत की मिसाइल ताकत: अब कोई कमजोर कड़ी नहीं
भारत के पास आज दुनिया के सबसे मजबूत मिसाइल शस्त्रागारों में से एक है. अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें इसमें प्रमुख भूमिका निभाती हैं. अग्नि-1 से लेकर अग्नि-4 तक की मिसाइलें पहले ही विभिन्न रेंज के साथ कार्यरत हैं. सबसे उन्नत मिसाइल अग्नि-5 की रेंज लगभग 5000 किलोमीटर तक मानी जाती है, जिससे भारत न केवल पूरे पाकिस्तान और चीन को, बल्कि एशिया और यूरोप के कई हिस्सों को भी कवर कर सकता है.
इस मिसाइल की एक और अहम विशेषता है इसका MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) तकनीक से लैस होना. इसके जरिए एक ही मिसाइल कई अलग-अलग लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकती है. यह क्षमता भारत को एक रणनीतिक बढ़त देती है और इसके प्रतिरोध को काफी कठिन बना देती है.
क्या हो सकती है परीक्षण की मिसाइल?
हाल ही में भारत ने 25 सितंबर को ‘अग्नि-प्राइम’ (Agni-P) नाम की मिसाइल का सफल परीक्षण किया था जिसकी मारक क्षमता लगभग 2000 किलोमीटर है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि 15-17 अक्टूबर के बीच जो परीक्षण होना है, वह या तो अग्नि-4 या अग्नि-5 हो सकती है. 3550 किलोमीटर की रेंज को देखते हुए यह अग्नि-4 से अधिक दूरी की मिसाइल प्रतीत होती है. हालांकि यह भी संभव है कि भारत ने कोई नई उन्नत मिसाइल प्रणाली विकसित की हो, जिसके लिए यह परीक्षण किया जा रहा हो.
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